Translate

Thursday, December 13, 2018

दिल्ली के दिल में ज्ञान का खजाना


दिल्ली के बीचों बीच, कई एकड़ में फैला परिसर, परिसर में हरियाली के बीच विचरते मोर, पंक्षियों का गूंजता कलरव और उसके बीच की इमारत में एक भव्य पुस्तकालय। ये है इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र का बेद समृद्ध पुस्तकालय, जहां दो लाख से अधिक किताबें और पुरानी पत्र-पत्रिकाएं हैं। दिल्ली के मानसिंह रोड पर स्थित इंदिरा गांधी कला केंद्र की लाइब्रेरी का नाम कलानिधि संदर्भ पुस्तकालय है। कलानिधि के विभागाध्य डॉ रमेश गौड़ के मुताबिक इस केंद्र की स्थापना 1987 में हुई लेकिन दो वर्ष के बाद जब यहां गतिविधियां शुरू हुई तो उस वक्त ही ये पुस्तकालय अस्तित्व में आया। लगभग तीस साल में इस पुस्तकालय में इतनी महत्वपूर्ण सामग्री जुटा ली गई कि ये आम पाठकों और शोधार्थियों के लिए उपयोगी हो गया। इस पुस्तकालय के कर्ताधर्ताओं ने एक अलग ही राह निकाली और मशहूर हस्तियों की व्यक्तिगत लाइब्रेरी को तोहफे के रूप में स्वीकार करने की योजना बनाई। नतीजा यह हुआ कि इस पुस्तकालय में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, सुनीति कुमार चटर्जी, कपिला वात्यास्यायन, श्याम बेनेगल, ठाकुर जयदेव सिंह, कृष्ण कृपलानी, देवेन्द्र स्वरूप जैसे विद्वानों की पुस्तकें यहां पहुंच गईं। अभी इस पुस्तकालय ने नामवर सिंह और इंद्रनाथ चौधुरी के साथ करार किया है और जल्द ही इन दोनों की पुस्तकें भी यहां उपलब्ध होंगी। इसके अलावा इस पुस्तकालय में 18 वीं शताब्दी में प्रकाशित करीब चार हजार पुस्तकें हैं जिनको डिजीटाइज किया जा चुका है। यहां हिंदी के अलावा सभी भारतीय भाषाओं की पुस्तकें उपलब्ध हैं। हिंदी की ऐतिहासिक पत्रिकाएं जैसे सरस्वती, चांद मतलावा आदि के अंक भी देखे जा सकते हैं।  
इस पुस्तकालय में पांडुलिपियों का भी खजाना है। देशभर के 52 पुस्तकालयों से इन पांडुलिपियों की माइक्रो फिल्म बनाकर यहां पाठकों के लिए उपलब्ध करवा दिया गया है। इन पांडुलिपियों में गणित, अंतरिक्ष विज्ञान, चिकित्सा शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र जैसे विषयों की पांडुलिपियां मौजूद हैं। इसके अलावा इस लाइब्रेरी में एक लाख के करीब स्लाइड्स हैं जो देशभर की विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं की झलक देख सकते हैं। अगर किसी पाठक को देश भर के स्मारकों या ऐतिहासिक इमारतों की तस्वीरें देखनीं हों तो उनके स्लाइड्स भी इस लाइब्रेरी में देखे जा सकते हैं। कलानिधि संदर्भ पुस्तकालय अपने आप में अनोखा पुस्तकालय है क्योंकि यहां किताबें तो हैं ही इसके अलावा यहां एक सांस्कृतिक आर्काइव भी है। इस आर्काइव में आडियो- वीडियो का एक अलग सेक्शन है जिसमें भी 33 महत्वपूर्ण हस्तियों के निजी संग्रह की सारी मह्वपूर्ण चीजें उपलब्ध हैं। इस सेक्शन को अभी डीटाइज किया जा रहा है और जल्द ही इस काम को पूरा कर लिया जाएगा। दिल्ली के मध्य में स्थित इस लाइब्रेरी के बारे में प्रचार-प्रसार नहीं होने की वजह से बहुत कम लोगों को इसके बारे में जानकारी है। यहां तमाम तरह के समाचारपत्र और पत्रिकाएं भी नियमित तौर पर आती हैं, इसके अलावा इनका एक विशेष सिस्टम जे स्टोर है जहां कोई भी आधिकारिक व्यक्ति कला और मानविकी से जुड़ी दुनिया भऱ की सामग्री को देख-पढ़ सकता है।
ये लाइब्रेरी सोमवार से शनिवार तक सुबह नौ बजे से रात आठ बजे तक खुलती है। यहां एक बेहतरीन रीडिंग रूम भी है और सदस्यों के लिए इंटरनेट और कंप्यूटर की मुफ्त सुविधा भी उपलब्ध है। इस पुस्तकालय की सदस्यता एक सप्ताह तक के लिए मुफ्त है। उसके बाद पांच सौ रुपए वार्षिक शुल्क लिया जाता है और अगर कोई आजीवन सदस्यता लेना चाहे तो उसको पाचं हजार रुपए देने होंगे। सदस्यता फॉर्म के साथ भारत सरकार से मान्यता प्राप्त फोटो पहचान पत्र और दो फोटो और निर्धारित शुल्क जमा करवा कर सदस्यता ली जा सकती है। यह पुस्तकालय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के प्रसासनिक भवन की पहली मंजिल पर स्थित है। मेट्रो का सबसे नजदीकी स्टेशन केंद्रीय सचिवालय स्टेशन है।    

No comments: