हिंदी फिल्मों की चर्चा में राजेश खन्ना की सफलता
की चर्चा आ ही जाती है और इस बात को रेखांकित किया जाता है कि उनकी लगातार सत्रह
फिल्में सुपरहिट रहीं। लेकिन इस बात की चर्चा कम या नहीं के बराबर होती है कि एक सितारा
ऐसा भी था जिसने एक के बाद एक अठारह फ्लॉप फिल्में दीं। पांच साल में अठारह फ्लॉप
फिल्मों के बावजूद वो फिर से उठ खड़ा हुआ और उसके बाद हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी।
इस अभिनेता का नाम है शम्मी कपूर। दरअसल शम्मी कपूर जब फिल्मों में आए तब दिलीप
कुमार, राज कपूर और देव आनंद अपने करियर के शिखर पर थे। इस त्रिमूर्ति के दबदबे और
अपनी लगातार असफलताओं के बोझ तले दबे शम्मी कपूर को नासिर हुसैन ने अपनी फिल्म ‘तुमसा नहीं देखा’ में
लिया। यहां भी नासिर हुसैन ने एक प्रयोग किया था और असफल फिल्मों के हीरो के तौर
पर जाने जानेवाले शम्मी कपूर के साथ उन्होंने एकदम नई हिरोइन अमीता को लिया था। नासिर
हुसैन इस बात तो भांप चुके थे कि स्थापित नायिकाओं के साथ शम्मी को दर्शक पसंद
नहीं कर रहे थे क्योंकि शम्मी की अठारहल असफल फिल्मों की नायिकाओं में मीना कुमारी,
मधुबाला, नूतन और सुरैया रह चुकी थीं। ये प्रयोग सफल रहा और ‘तुमसा नहीं देखा’
जबरदस्त हिट रहा। इसके बाद अगली फिल्म ‘दिल देके देखो’ ने तो सफलता के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए थे।
शम्मी कपूर का जीवन शुरू से ही ट्रैजिक भी रहा और
दिलचस्प भी। जब वो मां की कोख में पल रहे थे तो पंद्रह दिनों के अंतराल पर उनके दो
भाइयों बिंदी और देवी की मौत हो गई थी। पूरा परिवार टूट गया था। दो बच्चों की मौत
से टूट चुकी महिला की गोद में समय से पहले पैदा हुआ बेहद कमजोर बच्चा आया, परिवार
में कम ही लोगों को उसके बचने की उम्मीद थी। शम्मी कपूर का शैशवस्था इस माहौल में
बीत रहा था। घर में लोग शम्मी को छोटा चूहा बुलाते थे। जब को किसी तरह से चौदह साल
के हुए तो एक बार उनकी भाभी कृष्णा उनको अपने मायके रीवां लेकर गईं। वहां शम्मी
कपूर का स्वास्थ्य काफी सुधरा और शम्मी ने एक इंटरव्यू में कहा भी था कि रीवां में
तैराकी करने से उनके स्वास्थ्य में सुधार के साथ शारीरिक विकास भी हुआ। शम्मी कपूर
जब रीवां से मुंबई लौटे तो बदले हुए थे। उनकी शरारतें भी बढ़ती जा रही थीं। स्कूल
के बाद कॉलेज पहुंचे लेकिन वहां मन नहीं लगा। शैतानियां बढ़ते देख उनके पिता
पृथ्वीराज कपूर ने उनको सत्रह साल की उम्र में 1948 में पृथ्वी थिएटर में पचास
रुपए महीने की मौकरी पर रख लिया। यहीं से उनका हिंदी फिल्मों में जाने का रास्ता
खुला था।
ये बहुत कम लोगों को पता है कि शम्मी कपूर को शिकार
का बहुत शौक था। 1946 में उनकी मुलाकात जोधपुर की महारानी से हुई।
महारानी अपने दो बेटों के साथ पृथ्वी थिएटर में नाटक देखने आई थी। शम्मी कपूर उनकी
अदाओं और शाही अंदाज से बेहद प्रभावित हुए थे। उनके दोनों बेटों से भी उनकी पहचान
हो गई। उनके साथ पहली बार वो शिकार पर गए थे। बाद तो में तो शिकार में इतना मन रमा
कि भोपाल के पास के जंगल और तराई तक जाने लगे। शम्मी कपूर ने वेबसाइट पर भोपाल के
पास के जंगल में अपने पहले बाघ के शिकार के बारे में विस्तार से लिखा भी था। गीता
बाली के साथ शादी के बाद भी ये शौक बरकरार रहा। कई बार तो दोनों मुंबई से देहरादून
तक अपनी गाड़ी के शिकार करने चले जाते थे। कार की पिछली सीट पर गद्दा होता था और
दोनों में से जो थकता था वो पीछे जाकर सो जाता था। ये बात भी दिलचस्प है कि शम्मी
कपूर अपने दोस्त जॉनी वॉकर के साथ शिकार पर जाना सबसे अधिक पसंद करते थे।
शम्मी कपूर के गानों और उनके डांस स्टाइल की बहुत
चर्चा होती है। उनके पसंदीदा संगीत सुनने और उसपर नृत्य करने के पीछे भी एक
दिलचस्प कहानी है। हुआ ये कि एक दिन वो आर के स्टूडियो में नर्गिस के मेकअप रूम के
सामने से गुजर रहे थे तो देखा कि नर्गिस रो रही हैं। उनके पास गए और पूछा तो पता
चला कि उसके परिवारवालों ने उनको राज कपूर के साथ फिल्म करने से मना कर दिया है।
उस वक्त ‘बरसात’ फिल्म की शूटिंग चल
रही थी। नर्गिस फिल्म ‘आवारा’ में काम करना चाहती
थी लेकिन पारिवारिक बंदिश लगी थी। शम्मी ने उनको दिलासा दिलाया और वादा किया कि वो
भगवान से प्रार्थना करेंगे कि उनको राज कपूर के साथ काम करने की अनुमति मिल जाए ।
नर्गिस ने वादा किया कि अगर उनकी प्रार्थना सफल गोती है तो वो शम्मी को किस देंगी।
समय गुजर गया, ‘बरसात’ हिट हो गई। नर्गिस
को फिल्म ‘आवारा’ में काम करने की
अनुमति मिल गई। जब शम्मी कपूर को इस बात का पता लगा तो वो फिल्म ‘आवारा’ के सेट पर पहुंचे
और नर्गिस को उनका वादा याद दिलाया। नर्गिस ने शम्मी से कहा कि उनको वादा याद है
लेकिन अब शम्मी बड़े हो गए हैं लिहाजा वो वादा नहीं निभा पाएंगीं। नर्गिस ने शम्मी
से कुछ और मांगने को कहा। शम्मी ने नर्गिस से एक ग्रामोफोन मांगा, जो नर्गिस ने
उसी दिन खरीद कर शम्मी को दे दिया। शम्मी कपूर ने बाद में इस बात को लिखा कि उनके
अलबेले डांस स्टाइल के पीछे वो ग्रामोफोन है जो उनको किस के बदले मिला था। हिंदी
फिल्मों के देसी काउ बॉय की छवि वाले इस अभिनेता की जिंदगी भी कई बार उनकी छवि से
मेल खाती है लेकिन बहुधा उनको इससे दूर ले जाती है।
1 comment:
सुन्दर। नया शोध।
Post a Comment