शिवा ट्राएलॉजी लिखकर
लेखन की दुनिया में अपनी पहचान और धमक कायम करनेवाले अंग्रेजी के बेस्टसेलर लेखक अमिष
त्रिपाठी की नई किताब सिऑन ऑफ इच्छवाकु को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है । विवाद
किताब को लेकर नहीं, किताब के चरित्र को लेकर नहीं, किताब के कथानक को लेकर नहीं बल्कि
उसके बेचे जाने के करार को लेकर हुआ है । विवाद इतना बढ़ गया कि पूरा मामला दिल्ली
हाईकोर्ट जा पहुंचा । इस किताब के प्रकाशक वेस्टलैंड ने फ्लिपकार्ट पर कॉपीराइट और
आईटी एक्ट के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है । प्रकाशक का
आरोप है कि बगैर उसकी इजाजत के फ्लिपकार्ट अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अमिष का नया उपन्यास
बेच रहा है । हाईकोर्ट ने इस मामले में फ्लिपकार्ट को नोटिस भेजकर चार अगस्त तक अपना
जवाब दाखिल करने का हुक्म दिया है । फ्लिपकार्ट का तर्क है कि वो सिर्फ ग्राहकों और
विक्रेता को खरीद फरोख्त के लिए मंच मुहैया करवाता है और अगर कोई पुस्तक विक्रेता उसके
मंच पर किताबें बेचना चाहता है तो वो उसको रोक नहीं सकता है । दरअसव अमेजन ने अमीष
त्रिपाठी और उनके प्रकाशक वेस्टलैंड के साथ उसकी इस किताब को बेचने का एक्सक्लूसिव
करार किया हुआ है । आईपीएल के मैचों के दौरान अमेजन ने अमीष त्रिपाठी की इस किताब को
लेकर टीवी पर आक्रामक तरीके से प्रचार और मार्केटिंग की थी, लेकिन जब किताब बिक्री
के लिए उपलब्ध हुई तो वो एमेजन के अलावा फ्लिपकार्ट पर भी बिक्री के लिए उपलब्ध थी
। दरअसल अगर हम देखें तो हाल के दिनों में अंग्रेजी के बेस्टसेलर लेखकों या फिर मशहूर
शख्सियतों की किताबों को लेकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बिक्री को लेकर विवाद होते रहे
हैं । चंद महीनों पहले जो तर्क अमेजन दे रहा था वही तर्क अब फ्लिपकार्ट दे रहा है ।
इसी स्तंभ में चेतन भगत की किताब हाफ गर्ल फ्रेंड को लेकर उठे विवाद पर विस्तार से
चर्चा की गई थी । हाफ गर्ल फ्रेंड के लिए उसके प्रकाशक ने ऑनलाइन बेवसाइट फ्लिपकार्ट
से समझौता किया था। तब उस करार के मुताबिक प्रकाशक ने फ्लिपकार्ट को यह अधिकार दिया
था कि पहले कुछ दिनों तक चेतन भगत की किताब सिर्फ फ्लिपकार्ट के ऑनलाइन बुकस्टोर पर
ही मौजूद रहेगी । बदले में फ्लिपकार्ट ने भी प्रकाशक को एकमुश्त साढे सात लाख प्रतियों
का ऑर्डर दिया था । चेतन भगत के उपन्यास की प्रीबुकिंग ही जमकर हुई । इस एक्सक्लूसिव
करार की वजह से भारत में चेतन के लाखों प्रशंसकों ने फ्लिपकार्ट के ऑनलाइन स्टोर से
जाकर किताब खरीदी थी । लेकिन उस वक्त अमेजन ने भी कुछ इसी तरह का तर्क दिया था कि उनकी
कंपनी तो विक्रेताओं और क्रेता के बीच मंच प्रदान करती है, लिहाजा वो किसी को चेतन
की किताब बेचने से रोक नहीं सकती । उस वक्त भी चेतन की किताब के प्रकाशक और अमेजन के
बीच विवाद हुआ था । इसके बाद भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब द ड्रामेटिक
डिकेड, द इंदिरा गांधी इयर्स को लेकर भी सामने आई । जिस प्रकाशक ने चेतन भगत की किताब
की बिक्री के लिए फ्लिपकार्ट से समझौता किया था उसी ने प्रणब मुखर्जी की किताब के लिए
अमेजन से समझौता किया । उस करार के मुताबिक किताब जारी होने के इक्कसी दिन तक यह सिर्फ
अमेजन पर उपलब्ध रहनी थी । मतलब यह कि इक्कीस दिनों तक अगर कोई पाठक प्रणब मुखर्जी
की यह किताब एक्सक्लूसिव तौर पर इसी बेवसाइट से खरीद सकता था । उसके बाद यह देशभर के
पुस्तक विक्रेताओं के पास पहुंचेगा । इसका नतीजा यह हुआ था कि प्री बुकिंग के दौर में
ही महामहिम की किताब लोकप्रियता के लिहाज से चेतन भगत और सचिन तेंदुलकर की किताब के
बाद तीसरे पायदान पर पहुंच गई थी । तब भी इस तरह के सवाल उठे थे । ऑनलाइन बिक्री को
लेकर अभी हमारे देश में नियम कानूनों में कई सूराख हैं जिसका फायदा इस तरह की कंपनियां
उठाती रही हैं और मामले अदालतों में जाते रहे हैं । ऑनलाइन किताबों की बिक्री को लेकर
तो हाल के दिनों में तनातनी काफी बढ़ी है । भारत में किताबों के दुकानों के कम होने
की वजह से ऑनलाइन पर किताबों की खूब बिक्री होती है । आनलाइन कंपनियों का खर्च भी कम
होता है लिहाजा वो किताबों के दुकानों की तुलना में पाठकों को आकर्षक छूट भी देते हैं
। किताबों के मूल्य भी बिक्री या प्रीबुकिंग के हिसाब से तय किए जाते हैं । जब राष्ट्रपति
प्रणब मुखर्जी की किताब की प्री बुकिंग शुरू हुई थी तो उसपर छूट कम थी लेकिन जैसे जैसे
किताब रिलीज होने की तारीख पास आने लगी तो ऑनलाइन स्टोर ने इसके मूल्य में भी कमी करनी
शुरू कर दी थी ताकि पाठकों को आकर्षित किया जा सके । किताब पर छपे मूल्य पांच सौ पचानवे
की बजाय प्रीबुकिंग में इसका मूल्य चार सौ छियालीस रुपए रखा गया था । रिलीज वाले दिन
इस किताब का मूल्य घटाकर तीन सौ निन्यानवे कर दिया गया । यह बिक्री का अपना गणित भी
है और मुनाफा का अर्थशास्त्र भी है । ऑनलाइन किताबों की खरीद बिक्री का एक और भी पक्ष
है । इस तरह के करार से किताबें भी वहां बिक्री के लिए पहले उपलब्ध होती हैं और बेवसाइट्स
को वहां जिट करनेवाले एकल ग्राहकों की वजह से हिट्स भी ज्यादा मिलते है । ऑनलाइन कंपनियों
के लिए हिट्स का खासा महत्व है और कंपनी के वैल्यूएशन से लेकर फंडिंग तक में इस आंकड़े
का इस्तेमाल किया जाता है । इस वजह से भी वहां रिटेल खरीद को प्रोत्साहित किया जाता
है । कोई भी ग्राहक किसी भी चर्चित किताब की सिर्फ एक ही प्रति खरीद सकता है । अगर
किसी को दो या उससे अधिक किताबें चाहिए तो उसे उतने ही ग्राहक प्रोफाइल या अकाउंट बनाने
होंगे । यह बाजार में थोक बिक्री के आसन्न खतरे के मद्देनजर किया गया है । इससे दो
फायदे होते हैं । पहला तो किताबों की बिक्री बढ़ती है दूसरे ऑनलाइन स्टोर के मार्फत
किताबों की दुकान तक चर्चित कृतियों के पहुंचने पर रोक लगती है ।
दरअसल हमारे देश में
ऑनलाइन बिक्री के लिए अभी तक कोई तय प्रक्रिया नहीं है । दस जुलाई को डिपार्टमेंट ऑफ
इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन ने केंद्र सरकार के सात विभागों और फ्लिपकार्ट और अमेजन
के प्रतिनिधियों के साथ लंबी बैठक की । 15 जुलाई को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला
सीतारमण ने इस बाबत राज्यों की एक अहम बैठक बुलाई है । उस बैठक के बाद ई कॉमर्स को
लेकर कोई दिशा निर्देश तय किए जा सकते हैं । हो सकता है कि तब इस तरह के विवाद ना उठें
। अब अगर हम देखें तो ऑनलाइन बुक स्टोर्स पर बढ़ते ग्राहक संख्या और इस तरह के मार्केटिंग
की रणनीति से किताबों की दुकानों की बिक्री पर असर पड़ने लगा है । भारत में कम हो रही
किताबों की दुकान के लिए बिक्री का यह नया प्लेटऑर्म और एक्सक्लूसिव करार एक गंभीर
चुनौती के तौर पर सामने आ रहा है । बदलाव की इस बयार में ऑनलाइन स्टोर्स की एक्सक्लूसिविटी
पुस्तकों की दुकान में पूंजी लगानेवालों को भी हतोत्साहित कर रही है । चेतन और प्रणब
मुखर्जी की किताबों के रिलीज के वक्त देश के कई बुक स्टोर्स ने ने कड़ा रुख अख्तियार
किया था और ऐसा करनेवाले प्रकाशकों को उनकी अन्य किताबे नहीं बेचने की धमकी दी थी ।
उनका तर्क था कि ऑनलाइन कंपनियों के साथ करार करके प्रकाशक पाठकों के साथ छल करते हैं
। उन्होंने धमकी दी थी कि अगर कोई प्रकाशक बेस्टसेलर के लिए ऑनलाइन बुक स्टोर का चुनाव
करता है तो उसको फिर सारी किताबें वहीं बेचनी चाहिए । ये नहीं हो सकता है कि चर्चित
शख्सियतों और लेखकों की किताबें ऑनलाइन बेची जाएं और कम चर्चित और गंभीर किताबें दुकानों
के माध्यम से बेची जाएं । कई पुस्तक विक्रेताओं ने प्रकाशकों को पत्र लिखकर विरोध जताया
था भविष्य में ऐसा नहीं करने की सलाह दी थी । अमिष त्रिपाठी और चेतन भगत की किताबों
की मार्केटिंग के बरक्श अगर हम हिंदी प्रकाशन की दुनिया को देखें तो अब हालात कुछ उत्साहजनक
नजर आने लगे हैं । हिंदी के प्रकाशक अब बाजार का इस्तेमाल करने पर विचार करने लगे हैं
। कइयों ने अपनी किताबें ऑनलाइन स्टोर्स पर उपलब्ध भी करवा दी है । लेकिन हिंदी के
प्रकाशकों इन ऑनलाइन बुक स्टोर से उस तरह से राफ्ता कायम नहीं हो सका है । हिंदी के
प्रकाशकों को बाजार के इस खेल में पूरी तरह से शामिल होना पड़ेगा । यह धारणा गलत है
कि हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं की किताबें नहीं बिकती हैं । एक अनुमान के मुताबिक
चेतन भगत और अमिष त्रिपाठी की किताबों के हिंदी अनुवाद की बिक्री, कुल बिक्री का पैंतीस
फीसदी रहा है । इंटरनेट के फैलाव और सरकार के डिजीटल इंडिया स्कीम को प्राथमिकता के
बाद इंटरनेट का घनत्व बढ़ेगा । जैसे जैसे देश में इंटरनेट का फैलाव होगा ऑनलाइन बिक्री
के प्लेटफॉर्म की अहमियत बढ़ती जाएगी ।
2 comments:
हाँ, बदलाव तो दिखा रहा है । हिन्दीं लेखकों के लिए ये सकारात्मक भी है ।
sir aapka lekh...kaha gaya ludi sahitya..aaj 14 july 2015 ke naiduniya me pada ....mere uncle aapse ibne safi aur harper collins ke lugdi sahitya ko punah chhapne ke baare me baat karna chahte hai ki harper collins ise urdu me chaap raha hai ya hindi/english me bhi...apka mobile number mil jata to apse baat ho jata,aapse nivedan hai ki apna mobile dene ki kripa kare ...mera mobile number hai...9179893234...amit borade. thanking you in anticipation.
Post a Comment