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Tuesday, October 27, 2015

बयानवीरों से हलकान पार्टियां

हरियाणा में दो दलित बच्चों की चिता की आग अभी ढंडी भी नहीं हुई थी कि विदेश राज्यमंत्री जनरल वी के सिंह के बयान ने सिसायत को गर्मा दिया । दरअसल वीके सिंह ने एक बार फिर से भारतीय राजनीति में डॉग नैरेटिव का उपयोग कर विपक्ष को हमला करने का मौका दे दिया। दो दलित बच्चों की संदिग्ध मौत की बात हो रही थी उसी दौरान ये कहना कि कोई कुत्ते पर पत्थर भी फेंके तो केंद्र सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, बेहद आपत्तिजनक और असंवेदनशील है । बाद में जनरल वी के सिंह ने अपने इस बयान के लिए माफी भी मांगी । जनरल वी के सिंह को इस बात का एहसास नहीं रहा होगा कि उनके इस बयान का बिहार चुनाव पर भी असर पड़ सकता है । विरोधियों ने वी के सिंह के इस बयान को दलित विरोधी कहकर खूब प्रचारित किया । चुनाव पर इसका क्या असर होगा ये तो नतीजों वाले दिन पता चलेगा लेकिन इतना तो तय है कि जनरल ने विरोधियों के हाथ में एक सियासी असलाह तो दे ही दिया । बीजेपी के नेताओं में जनरल साहब की गिनती बयानवीरों में की जाती है । वो मौके बेमौके अपने बयानों से विवाद का बवंडर खड़ा करते रहते हैं । चाहे वो पाकिस्तनी दूतावास में भोज का मसला रहा हो या फिर विश्व हिंदी सम्मेलन के पहले साहित्यकारों के बारे में दिए गए बयान हों । अगर हम देखें तो एनडीए सरकार में ऐसे और भी मंत्री हैं जो बयानवीर हैं । संस्कृति मंत्री महेश शर्मा भी अपने बयानों से विरोधियों के निशाने पर तो आते ही रहते हैं, पार्टी और सरकार को भी मुश्किल में डालते रहते हैं । इसी तरह से गिरिराज सिंह और संजीव बालियान भी केंद्रीय मंत्री होते हुए भी ऐसे बयान देते रहते हैं जिसपर पार्टी को सफाई देनी पड़ती है । पिछले सप्ताह बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने मंत्रियों और सांसदों को बुलाकर झाड़ पिलाई थी और उनसे संभलकर बोलने की नसीहत दी थी । लगता नहीं है कि अमित शाह की फटकार का कोई असर हुआ है । केंद्रीय मंत्री और सांसदों के उलजलूल बयानों से परेशान पार्टी के लिए उनके मुख्यमंत्री भी परेशानी खड़ी करते रहे हैं । जब पूरे देश में बीफ को लेकर बहस चल रही थी तो उसके बीच ही हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ये कहकर बीफ पॉलिटिक्स को गरमा दिया कि अगर मुसलमानों को हिंदुस्तान में रहना है तो बीफ खाना छोड़ना होगा । इन नेताओं को कौन समझाए कि इस तरह के बयानों का बड़ा गहरा असर होता है । खट्टर के बयान को लालू यादव और नीतीश कुमार की पार्टी ने बिहार के मुस्लिम बहुल इलाकों में जमकर प्रचारित किया । माना जा रहा है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में खट्टर के बयानों का असर पड़ा है और ये चुनावी नतीजों में रिफलेक्ट हो सकता है ।
अब अगर हम सारे बयानों को देखें तो यह साफ तौर पर लगता है कि बीजेपी के पहली बार सांसद बने और फिर मंत्री बन गए वी के सिंह और महेश शर्मा में राजनीतिक परिपक्वता की कमी है । सधा हुआ राजनेता वो होता है जो समय, काल और परिस्थिति के मुताबिक सही उदाहरणों के साथ अपनी बात रखता है । वी के सिंह ने बात बिल्कुल सही कही कि हर घटना के लिए केंद्र को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है लेकिन उनके कहने का तरीका ना सिर्फ गलत बल्कि आपत्तिजनक भी था । इसी तरह से महेश शर्मा ने भी अखलाक की हत्या को हादसा बताकर विवादों को जन्म दे दिया था । दरअसल इन नेताओं को बहुत सोचसमझकर बयान देने की जरूरत है । इन्हें यह समझना होगा कि ये केंद्र सरकार के नुमाइंदे हैं और ये जो भी बोलते हैं उसकी गूंज बहुत दूर और देर तक सुनाई देती है । हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर को को भी समझना होगा कि वो एक संवैधानिक पद पर हैं । ये तो हुई सत्ताधारी दल के नेताओं की बात । अब अगर हम विपक्ष में देखें तो वहां भी कई विवादवीर नजर आते हैं । लालू यादव से लेकर आजम खान तक । लालू यादव ने अमित शाह के बारे में जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया वो बेहद अशोभनीय है । इसी तरह से यूपी के कद्दावर परंतु बड़बोले मंत्री आजम खान ने रेप को लेकर विवादित बयान दिया। सूबे में बढ़ती रेप की घटनाओं को रोकने में राज्य सरकार की नाकामी को छिपाने के लिए आजम खान इस वारदात के लिए मोबाइल फोन को जिम्मेदार ठहराया है । उनका दावा है कि मोबाइल में बगैर पैसे बहुत गंदगी देखने को  मिलती है । यहां गंदगी से उनका मतलब इंटरनेट पर मौजूद पोर्न फिल्में हैं । आजम खान कहते हैं कि छोटे छोटे बच्चे पोर्न फिल्में डाउनलोड करते हैं । उनके मुताबिक इसमें ऐसी फिल्में भी डाउनलोड हो जाती हैं जिसमें दो ढाई साल के बच्चों के साथ दुष्कर्म होता है । क्या ये माना जाए कि पोर्न फिल्में देख कर ही रेप किए जा रहे हैं । लोकतंत्र में नेताओं को समाज के रहनुमा के तौर पर देखा जाता है लेकिन जब इन रहनुमाओं के बोल और विचार इस तरह के होंगे तो इनसे जनता की बेहतरी के लिए काम करने की अपेक्षा बेमानी होगी । जनता विषम परिस्थियों में इन नेताओं की ओर देखती है लेकिन जब इनके मुंह से ऐसी बातें सुनती है तो उनका मोहभंग होता है जो बदलाव की जमीन तैयार करता है ।


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