Translate

Friday, March 11, 2016

बाजार में बाबाओं की धमक ·

जब उन्नीस सौ इक्यानवे में भारत में खुले बजार की बयार बहनी शुरु हुई थी तब पूरे देश में मल्टी नेशनल कंपनी, फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स, शेल्फ लाइफ आदि जैसे शब्द अचानक से गूंजने लगे थे । देशभर के लोगों के सामने तरह तरह के प्रोडक्ट्स का विकल्प सामने आ गया था । प्रोडक्ट्स की मोनोपॉली टूटने लगी थी, लोगों की फूड हैबिट में बदलाव आने लगा था । विदेशों में मिलने वाली सामग्री भारत में भी मिलने लगी थी । ये क्रम लगातार बढ़ता चला गया और कालंतर में हम ग्लोबल बाजार का हिस्सा हो गए । मल्टी नेशनल कंपनियों को भारत का बहुत बड़ा बाजार मिला । बढ़ते बाजार और ग्राहकों की बढ़ती क्रय शक्ति ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों को मुनाफा कमाने की उर्वर भूमि प्रदान की । उनको इस बाजार में देसी कंपनियों से बहुत मुकाबला भी नहीं करना पड़ा था । करीब दो दशक से ज्यादा वक्त तक ये चला लेकिन अब इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है । ये कंपटीशिन बिल्कुल ही अनपेक्षित कोने से मिल रहा है । वो कोना है गुरुओं और बाबाओं का । भारत में अध्यात्म और योग की शिक्षा देने वाले गुरूओं का अब कॉरपोरेटाइजेशन हो गया है। पहले छोटे स्टर पर उन गुरुओं के प्रोडक्ट बिका करते थे लेकिन अब इन लोगों ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों को टक्कर देना शुरू कर दिया । बाबाओं के इन प्रोडक्ट्स का असर इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बैलेंस शीट पर दिखाई देने लगा है । यहां तक तो बाजार के नियमों के हिसाब से मुकाबला हो रहा था लेकिन अब कई बाबाओं के एफएमसीजी बाजार में उतरने से बाजार की जंग में कई रंग भरने लगे हैं । सबसे पहले तो योग गुरू बाबा रामदेव ने अपनी साख और लोकप्रियता का इस्तेमाल करते हुए पतंजलि प्रोडक्ट्स लांच किया । पंतजलि प्रोडक्ट्स को बाजार में उतारने का वक्त बेहद चालाकी से तय किया जाता है । जब पूरे देश में मैगी को लेकर विवाद चल रहा था तो बाजार के उस असमंजस का फायदा उठाने के लिए बाबा रामदेव ने अपना नूडल्स पेश कर दिया । बाबा रामदेव खाने पीने के अपने सभी प्रोडक्ट्स को स्वास्थ्य से जोड़कर पेश कर रहे हैं चाहे वो नूडल्स हो या फिर हनी या च्यवनप्राश । हाल ही में बाबा रामदेव ने के पतंजलि प्रोडक्ट्स ने जूस मार्केट में दस्तक दी है । पंतजलि प्रोडक्ट्स की कीमत कम रखते हुए बाबा रामदेव इसकी एग्रेसिव मार्केटिंग करते हैं । जैसे जूस के बाजार में पंतजलि का जूस अन्य ब्रांड के जूस से करीब पंद्रह फीसदी सस्ता बेचा जा रहा है । एक तो सस्ता, दूसरे स्वास्थ्य से जोड़कर बाबा रामदेव ने इनको सफल बना दिया है । अब बाबा रामदेव ने एक और नया मार्केंटिंग दांव चला है जो भावना की चासनी में लिपटा है ।अब उन्होंने कहा है कि रिटेल स्टोर को स्वदेशी उत्पादों को प्रमुखता से डिस्पले करना चाहिए क्योंकि ये महात्मा गांधी के स्वदेशी को सपने को साकार करने का उद्यम है । पतंजलि का कहना है कि वो रिटेल स्टोर के मालिकों को स्वदेशी के इस मुहिम में जुड़ने की अपील कर रहे हैं । दरअसल ये भावनात्मक अपील भी मुनाफा बढ़ाने का ही एक कदम है । रिटेल स्टोर उत्पादों को प्रमुखता से डिस्पले करने के लिए कंपनियों से पैसे लेते हैं लेकिन स्वदेशी और गांधी के सपनों का दांव चलकर पतंजलि इस खर्चे को बचाना चाहती है । बाबा रामदेव की सफलता इस वक्त चर्चा का विषय है और माना जा रहा है कि इस वित्तीय वर्ष में उनका टर्न ओवर ढाई हजार करोड़ तक पहुंच जाएगा ।
पतंजलि का ढाई हजार करोड़ सालाना टर्न ओवर का आंकड़ा अन्य धर्म और आध्यात्मुक गुरुओं भी इस बाजार में खींच रहे हैं । अपनी साख और अपने अनुयायियों की बड़ी संख्या के मद्देनजर भी इन बाबाओं को संभावनाएं नजर आ रही हैं । इन दोनों स्थितियों को ध्यान में रखते हुए अब आध्यात्मिक गुरू जग्गी वासुदेव भी बाजर में कूद पड़े हैं उनके प्रोडक्ट इशा आरोग्य के नाम से बाजर में हैं । हरियाणा और पंजाब में बेहद लोकप्रिय डेरा सच्चा सौदा वाले धर्म गुरू बाबा राम रहीम भी एमएसजी के नाम से अपने प्रोडक्ट लांच कर चुके हैं । बाबा राम रहीम ने तो एक साथ करीब चार सौ प्रोडक्ट की ग्लोबल लांचिंग की, जिसमें दाल, मसाला, अचार, जैम, से लेकर मिनरल वॉटर और नूडल्स भी शामिल हैं । एमएसजी यानि मैसेंजर ऑफ गॉड के नाम से फिल्म बनाकर सफल हो चुके गुरमीत राम रहीम भी अपनी लोकप्रियता  के भरोसे एफएमसीजी मार्केट में अपनी हिस्सेदारी चाहते हैं । ऑर्ट ऑप लीविंग के श्रीश्री रविशंकर का श्रीश्री आयुर्वेद ट्रस्ट भी कई फूड प्रोडक्ट्स से लेकर पर्सनल केयर प्रोडक्ट बेचता है । ट्रस्ट के बयान के मुताबिक 2017 तक वो पूरे देश में करीब ढाई हजार स्टोर खोलने की योजना बना रहे हैं जहां आधुनिक उपभोक्ता वस्तुओं से लेकर पुरातन आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स की बिक्री की जाएगी । ये फेहरिश्त काफी लंबी है । दक्षिण भारत में बेहद लोकप्रिय माता अमृतानंदमयी भी इस बाजार में उतर चुकी है । माता अमृतानंदमयी मठ अमृता लाइफ के नाम से प्रोडक्ट मार्केट कर रहा है । इन धर्म गुरुओं के प्रोडक्ट्स की बढ़ती बिक्री ने कई स्थापित कंपनियों की नींद उड़ा दी है क्योंकि ये बाबा अपने प्रोडक्ट्स की ऑन लाइन बिक्री को भी आक्रामक तरीके से मार्केट कर रहे हैं । एक रिपोर्ट के मुताबिक पंतजलि के प्रोडक्ट्स ने तेरह सूचीबद्ध कंपनियों को प्रभावित किया है और उनका मुनाफा गिरा है ।

एक जमाना था जब कुंभनदास ने कहा था कि – संतन को कहां सीकरी सौं काम । लेकिन अब ये परिभाषा बदलती नजर आ रही है । अब तो संतों को सीकरी से ही काम नजर आ रहा है। बेहद दिलचस्प है कि दुनिया को माया मोह से दूर रहने का उपदेश देनेवाले गुरु माया के चक्कर में पड़े हैं । अलबत्ता बाजार में उतरने वाले सभी अध्यात्मिक और धर्मगुरू यह कहना नहीं भूलते कि वो इस कारोबार से होने वाले मुनाफे को मानव कल्याण से लेकर लोगों को शिक्षित करने तक के काम में उपयोग में लाएंगे । अबतक इनकी साख है तो भक्तगण इनके प्रोडक्ट पर भी भरोसा कर रहे हैं लेकिन बाजार के कायदे कानून बेहद निर्मम होते हैं और उत्पादों को लेकर एक जरा सी चूक इनके भक्तों को इनसे दूर भी कर सकती है । 

No comments: