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Saturday, April 30, 2016

कैप्टन और पीके की जोड़ी

देश के सबसे अमीर कृ्षि प्रधान राज्य पंजाब में हालांकि विधिवत रूप से चुनावी बिगुल नहीं बजा है, पर राजनीतिक दलों की सक्रियता से सियासी पारा चढ़ने लगा है. बिहार के वीनिंग स्ट्रेट्जिस्ट प्रशांत किशोर को हॉयर कर कैप्टन अमरिंदर सिंह की टीम ने शुरुआती बढ़त बना ली है. हालांकि राज्य में कांग्रेस और अकाली दल के अलावा और भी नए खिलाड़ी आ गए हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल की नजर काफी पहले से ही पंजाब पर थी, जबकि हरियाणा में अपने दम पर सरकार बनाने के बाद भारतीय जनता पार्टी भी पंजाब में अकेले दम पर अपना स्कोप देख रही है.    यह बात कोई दबी छुपी नहीं है कि 'आप' नेता अरविन्द केजरीवाल की जो महत्त्वाकांक्षा राष्ट्रीय राजनीति को लेकर रही है, वह दिल्ली जैसे किसी केंद्र शासित प्रदेश पर शासन करने से तो पूरी होगी नहीं. इसके लिए, उन्हें यहाँ से बाहर कदम बढ़ाने ही थे और इसकी शुरुआत पंजाब से होने जा रही है. पंजाब में उनका पाला अब उस कांग्रेस से होने जा रहा है, जिसके रणनीतिकार प्रशांत किशोर हैं, लिहाजा उन्होंने भी दुर्गेश पाठक को मोर्चे पर तैनात कर दिया है ।  पंजाब में अकाली नेताओं के परिवारवाद, बढ़ते भ्रष्टाचार से बादल परिवार और अकालियों की लोकप्रियता अपने सबसे खराब दौर में है ।

पंजाब वह राज्य है, जहां बीजेपी हमेशा अकालियों की 'बी' टीम के रूप में रही है. राज्य में अमूमन बारी-बारी से अकाली और कांग्रेस सत्ता में आते- जाते रहे हैं. लोकसभा में 44 पर सिमटी कांग्रेस के लिए यहां करो-मरो की स्थिति है. लोकसभा चुनाव के बाद, कांग्रेस के लिए पहली बार यहां काफी कुछ दांव पर लगा हुआ है. वजह साफ है, महाराष्ट्र, हरियाणा जैसे राज्यों में जब चुनाव हुए थे, तब कांग्रेस को भी अपनी हार के बारे में पता था, क्योंकि लोकसभा चुनाव नतीजों का प्रभाव तब तक विद्यमान था. कांग्रेस ने तब अपना कैंपेन बजट तक घटा दिया था, यहां तक कि उम्मीदवारों को चुनावी मदद भी पूरी तरह से नहीं पहुंचाई गई थी. इसी तरह बिहार विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी जदयू नेता नीतिश कुमार ने रणनीतिकार प्रशांत किशोर को सौंप दी थी और वह अपनी जीत के लिए आश्वस्त थे. कांग्रेस को अपनी जमीनी हालत का भान था और वह लालू-नीतीश के पीछे थी.  यही वजह है कि कांग्रेस ने अपना सभी दांव पंजाब में लगा दिया है. 'पीके' के आने से कर्यकर्ताओं में उत्साह है. विशेषकर युवा वर्ग उनकी बिहार की सफलता से उत्साहित है और यह जानता है कि अपनी रणनीति से वह किसी भी सियासी गणित को बदल सकते हैं. कुछ जानकारों का दावा है कि मीडिया में आम आदमी पार्टी को मजबूत बताने का मकसद सिर्फ यह दिखाना है कि आप पंजाब में सशक्त राजनीतिक दल के तौर पर दिखाई दे, अकालई उससे उलझें और कांग्रेस बीच में बाजी मार ले जाए. कांग्रेस की मजबूती मनप्रीत बादल के जुड़ने से भी बढ़ी है.  मनप्रीत बादल की पीपल्स पार्टी ऑफ़ पंजाब ने 2012 के चुनाव के दौरान पांच फ़ीसदी वोट हासिल किए थे.

अब 'पीके' के असर में उन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर लिया, जो कांग्रेस के लिए राहत और उसके विरोधियों के लिए खलबली की बात है. सभी जानते हैं कि मनप्रीत बादल ने अपनी पार्टी का गठन, अकाली दल का विरोध करते हुए किया था. ऐसी अटकलें भी हैं कि पार्टी राज्य में बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस से हाथ मिलाने को बेताब है. बीएसपी को पंजाब पि्छले दोनों विधानसभा चुनावों में चार से छह प्रतिशत वोट मिले थे. पीके की रणनीति के तहत दलितों को टिकट देकर कांग्रेस राज्य में दलितों की मौजूदगी को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है. पंजाब की क़रीब एक तिहाई आबादी दलित है, जो देश के किसी भी राज्य में दलितों के अनुपात के हिसाब से सबसे ज़्यादा है. कांग्रेस की तरफ हवा का रुख देखकर दूसरी पार्टियां अभी से कांग्रेस में मिलने लगी हैं. पूर्व सीएम सुरजीत सिंह बरनाला की पार्टी शिरोमणि अकाली दल (लोंगोवाल) के कांग्रेस में विलय की घोषणा के भी दूरगामी परिणाम हैं.  महासचिव बलदेव मान, गगनजीत बरनाला और सिमरजीत बरनाला के साथ कांग्रेस के पंजाब प्रभारी शकील अहमद, प्रदेश प्रधान कैप्टन अमरिंदर सिंह और कैंपेन कमेटी की चेयरपर्सन अंबिका सोनी की मौजूदगी में शिअद-लोंगोवाल की प्रधान सुरजीत कौर बरनाला ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर नेतृत्व में कांग्रेस ही पंजाब में उम्मीद की किरण है. अमरिंदर ने पहले भी बढ़िया प्रशासन देकर अपनी काबिलियत को साबित किया है. पीके की योजना है कि 2017 तक अकाली दल को इसी तरह चोट पहुंचाई जाए. शिअद में अंदरखाते काफी नाराजगी चल रही है, चुनाव से पहले इसमें बड़ा विस्फोट तय है. कैप्टन का दावा है कि अकाली दल के कई सीनियर नेता कांग्रेस ज्वाइन करने के लिए चुनाव आचार संहिता लगने का इंतजार कर रहे हैं. वह पूरी तरह कांग्रेस के संपर्क में हैं. अभी अकाली नेता डरे हुए हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि सुखबीर सिंह बादल उन्हें झूठे केसों में फंसा देंगे. चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद सरकार का प्रशासन पर कंट्रोल खत्म हो जाएगा. पंजाब में हाल ही में सामने आए बारह हजार करोड़ के अनाज घोटाले के बाद कैश क्रेडिट लिमिट मंजूर होना संभव नहीं है. इसका असर किसानों पर पड़ना स्वाभाविक है, उनको अदायगी नहीं होगी.कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी विधानसभा चुनाव के कई महीने पहले ही जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया है. अभी जीरकपुर के एक रिसॉर्ट में 'पंजाब दी गल्ल' कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए करीब ढाई हजार नेताओं-वर्करों के से फीडबैक लेने के बाद उन्होंने घोषणा कर दी कि कांग्रेस इस बार जल्दी टिकट घोषित करेगी  राहुल गांधी और उनकी टीम ने यह साफ कर दिया है कि कैंडिडेट तय करने के सिर्फ दो पैमाने होंगे. जमीनी स्तर पर काम करने वाले नेताओं को टिकट दिए जाएंगे. महिलाओं, युवाओं और हर वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया जाएगा. राहुल ने कहा कि वर्कर पार्टी की रीढ़ हैं, वर्कर साथ होगा तो आसानी से जीत सकते हैं. ग्रास रूट लेवल से लेकर हेडक्वार्टर तक कांग्रेस एक ही है. गुटबाजी न तो है और न ही होनी चाहिए. हम एक पार्टी बन कर चुनाव लड़ें तो जरूर जीतेंगे, चाहे किसी के वॉलंटियर कितने भी मजबूत क्यों न हों. 
पंजाब के वर्करों ने भी पीके के आने के बाद पंजाब में मिली बढ़त को माना है. पीपीसीसी प्रधान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पिछले दिनों सभी जिलों में जाकर वर्करों की बात सुनने की कवायद शुरू की है. 'कॉफी विद कैप्टन' प्रोग्राम को सफलता मिल रही है. पंजाब के अकाली अपनी हार लगभग मान चुके हैं और वे भाजपा की तरफ भरोसा कर रहे हैं, ताकि हार का ठीकरा  'एंटी-इन्कम्बेंसी' और मोदी सरकार की नीतियों पर ठोंका जाए. कैप्टन भी इस चाल को समझ रहे हैं, इसीलिए घूम-घूम कर कह रहे हैं कि अगर 2017 में पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनी, तो ऐसा नोटिफिकेशन जारी करेंगे, जिससे कोई भी एजेंसी किसानों की जमीन बेच नहीं सकेगी. कैप्टन सत्ता में आने के चार हफ्तों के अंदर पंजाब को नशामुक्त करने का अपना वादा भी दोहरा रहे हैं. आलम यह है कि पीके की सलाह पर अब कैप्टन और कांग्रेस उपाध्यक्ष न केवल पंजाब पर ध्यान दे रहे हैं बल्कि सभी की बात भी सुन रहे हैं. यह अच्छी पहल है, इसे जारी रखना चाहिए. ताकि अभी से शुरू हुआ टेंपो 2017 तक न केवल बना रहे बल्कि नतीजा भी लेकर आए.



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