सोनिया गांधी अपने लोकसभा क्षेत्र रायबरेली से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अबतक
का सबसे बड़ा हमला किया । उन्होंने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि वो देश के
शहंशाह की तरह काम कर रहे हैं । उन्हॆंने आरोप लगाया कि देश के कई हिस्सों में
सूखा पड़ा है, किसान बेहाल हैं और प्रधानमंत्री जश्न मना रहे हैं । दरअसल सोनिया गांधी
जब कोई भी बात करती हैं तो वो मीडिया में बड़ी खबर बनती है । लिहाजा जब उन्होंने
सीधे पीएंम मोदी को निशाने पर लिया सुर्खियां बनीं । सोनिया गांधी और कांग्रेस हमेशा
से बीजेपी पर किसान और गरीब विरोधी होने का आरोप लगाती रही है । कांग्रेस के
उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जब बीजेपी पर सूट बूट की सरकार का आरोप लगाया था तो वो
लंबे समय तक बीजेपी से चस्पां रही थी क्योंकि उस वक्त प्रधानमंत्री ने लाखों रुपए
का सूट पहना था । लंबे समय बाद वक्त के साथ कांग्रेस का ये विशेषण कमजोर पड़ा । राजनीति
ने भी करवट बदली और बिहार और दिल्ली की हार के बाद असम में बीजेपी की जीत ने
कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया । सूट बूट की सरकार पर कांग्रेस मुक्त भारत का नारा
भारी पड़ने लगा ।
लिहाजा जब सोनिया गांधी
ने प्रधानमंत्री पर हमला बोला तो बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि सोनिया गांधी
हालिया विधानसभा चुनाव में हार की बौखलाहट की वजह से ऐसे बयान दे रही हैं । बीजेपी
के नेताओं का दावा है कि भारत को कांग्रेस मुक्त होता देख कर सोनिया हताशा में
उल्टे सीधे आरोप लगा रही हैं । सोनिया गांधी के आरोपो की पड़ताल होती उसपर बहस
होती, उसको
कसौटी पर कसा जाता लेकिन खुद सोनिया ने ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर लगाए अपने
आरोपों को ही भटका दिया । सोनिया ने अपने दामाद राबर्ट वाड्रा पर लगाए जा रहे
आरोपों को कांग्रेस पार्टी से जोड़ दिया । दरअसल राबर्ट वाड्रा पर रक्षा सौदों में
बिचौलिये का काम करनेवाले एक शख्स से संबंध रखने और उसके मार्फत लंदन में एक
उन्नीस करोड़ का बेनामी बंगला खरीदने का आरोप लगा है । राबर्ट वाड्रा और उनके
सहायक ने कथित तौर पर रक्षा सौदे के उक्त बिचौलिए के साथ कुछ ईमेल का आदान प्रदान
किया था जिसके आधार पर उनपर ये संगीन इल्जाम लग रहे हैं । उन ईमेल में लंदन की
इमारत की मरम्मत के बारे में बातचीत है । इन ईमेल के सामने आने के बाद बीजेपी के
सांसद किरीट सोमैया ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक को खत लिखकर पूरे मामले की जांच
की मांग कर डाली । ये मामला तूल पकड़ ही रहा था कि सोनिया ने प्रधानमंत्री को
शहंशाह बता दिया और चर्चा उधर मुड़ने लगी थी लेकिन इस बीच सोनिया ने अपने दामाद
वाड्रा का बचाव कर अपने ही आरोपों की हवा निकाल दी । विपक्ष के हाथ बेवजह का एक
मुद्दा दे दिया ।
सोनिया ने पहली बार खुलकर राबर्ट वाड्रा का बचाव करते हुए कह डाला
कि उनपर हमेशा से बेबुनियाद आरोप लगाए जाते रहे हैं । उन्होंने केंद्र सरकार को
चुनौती भी दी कि अगर राबर्ट के खिलाफ कोई आरोप है तो उसको साबित करे और जनता के
सामने दूध का दूध और पानी का पानी कर दे । सोनिया यहीं पर रुक जाती तो भी ठीक था
लेकिन उन्होंने राबर्ट वाड्रा को कांग्रेस मुक्त की साजिश से जोड़कर विपक्ष को
हमला कराने का असलाह मुहैया करवा दिया । अब बीजेपी और कांग्रेस के विरोधी कांग्रेस
मतलब राबर्ट वाड्रा कहकर चुटकी लेने लगे हैं । कुछ दिनों पहले भी जब कांग्रेस ने
जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया था तब भी कुछ तख्तियों पर राहुल सोनिया के साथ राबर्ट
वाड्रा की तस्वीर वाले बोर्ड भी लगे थे । तब कांग्रेस ने उसको चंद उत्साही पार्टी
कार्यकर्ताओं की करतूत बताकर पल्ला झाड़ लिया था । प्रियंका गांधी से शादी के बाद
जब भी राबर्ट पर आरोप लगे तब तब कांग्रेस पार्टी राबर्ट वाड्रा पर लग रह आटक गया ।
यह बात भी ठीक है कि बीजेपी लगातार राबर्ट वाड्रा पर इल्जाम लगाती रही है जमीन
सौदों से लेकर इमारतों की खरीदारी का लेकिन सरकार के दो साल बीत जाने के बाद भी
अबतक किसी भी आरोप में से कोई साबित नहीं हो पाया है । अपने चुनावी रैलियों में
नरेन्द्र मोदी ने भी राबर्ट वाड्रा के जमीन सौदे को लेकर कांग्रेस पर जमकर प्रहार
किए थे लेकिन सत्ता में आने के बाद जांच बेहद धीमी गति से चल रही है । दरअसल अगर
हम देखें तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों इस वक्त परसेप्शन की लड़ाई लड़ रही है । अगस्ता
वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे में घोटाले पर भी कोई ठोस जांच होगी इसमें संदेह है।
बीजेपी भी चाहती है कि ये लंबा चलता रहे और उसको लगातार कांग्रेस पर आरोपों की बौछार
करने का अवसर मिलता रहे । उधर इसी तरह के सौदे में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और
उनके बेटे पर कांग्रेस आप लगाती रही । इसी तरह से राबर्ट का मुद्दा भी बीजेपी के
लिए मुफीद है । दरअसल पिछले दस साल के यूपीए के शासन काल में भ्रष्टाचार के इतने
मामले सामने आए कि जनता कांग्रेस से जुडे किसी नेता या उसके रिश्तेदारों पर लगने
वाले आरोपों को प्रथम दृष्टया सहीमान लेती है । निष्कर्षत; यह कहा जा सकता है कि आरोपों का
ये खेल दरअसल कोई जुर्म साबित करने के लिए नहीं बल्कि अपने विरोधियों को जनता की
नजरों से गिराने का खेल है । सोनिया गांधी भी इस खेल में कूदी थीं लेकिन उन्होंने
सेल्फ गोल कर डाला
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