देश के सबसे बड़े प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पिछले दो तीन दिनो से
जिस तरह का सियासी ड्रामा चला उसने तो मनोरंजन चैनलों पर चलनेवाले महिला प्रधान
सीरियल को भी पीछे छोड़ दिया । मनोरंजन चैनलों पर चलनेवाले उन सीरियल्स की ही तरह
इसमें सस्पेंस भी था, ड्रामा भी था, इमोशन भी था, साजिशें भी थीं, झगड़े भी थे,
मान-ममुहार का दौर भी था और अंत में कुछ नहीं हासिल होने का क्लाइमेक्स भी था । पूरे
देश ने समाजवादी परिवार में चले इस ड्रामे को बड़े चाव से देखा लेकिन जिस तरह से
सीरियल्स को देखकर अंत में निराशा होती है उसी तरह से समाजवादी पारिवार के इस
ड्रामे के क्लाइमेक्स ने निराश किया । अब जरा इस बात पर नजर डाल लेते हैं कि इस
पारिवारिक सियासी ड्रामे में किसको क्या मिला । परिवार के मुखिया मुलायम सिंह यादव
ने एक बार फिर से सार्वजनिक रूप से अपने पुत्र और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को
फटकार लगाई और अपने भाई को पुचकारा । मुलायम ने अखिलेश को साफ कह दिया कि सत्ता
मिलने के बाद उनका दिमाग हवा में उड़ने लगा है । बावजूद इस फटकार के अखिलेश यादव
के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करके मुलायम सिंह यादव ने ये संदेश भी दे दिया कि वो
अपने बेटे अखिलेश के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं करने जा रहे हैं । शिवपाल
सिंह यादव ने सार्वजनिक रूप से मुलायम सिंह यादव से मांग की कि वो खुद सूबे के
मुख्यमंत्री की कमान संभालें लेकिन मुलायम ने शिवपाल की इस बात का नोटिस, ही नहीं
लिया । अपने पूरे भाषण के दौरान मुलायम सिंह यादव अपने छोटे भाई शिवपाल यादव के
योगदान को, उनके संघर्षों को याद करते रहे लेकिन बात उनकी कोई नहीं मानी । इस बात
के संकेत भी नहीं हैं कि शिवपाल सिंह यादव और उनके साथ बर्खास्त किए गए अन्य
मंत्रियों को अखिलेश अपने मंत्रिमंडल में वापस लेंगे । इस पूरे विवाद के बीच अगर
हम सूक्ष्मता से विश्लेषण करें तो अखिलेश यादव का कद बहुत बढ़ गया है । वो जनता को
एक बार फिर से ये संदेश देने में कामयाब हो गए हैं कि उनके साथ दलाल और गुंडे
किस्म के लोग नहीं रहेंगे । दूसरी बात जो अखिलेश ने साबित की वो ये विधायकों का
बहमत उनके साथ है । विधायकों के बहुमत के अखिलेश के साथ होने की वजह से शिवपाल
यादव अपने भाई मुलायम पर कोई दबाब नही बना पाए । सार्वजनिक रूप से अखिलेश ने
मुलायम सिंह को ये भी बता दिया कि ज्यादातर फैसले उनके कहने पर ही लिए जा रहे हैं
। गायत्री प्रजापति को मंत्रिमंडल से निकालने और दीपक सिंघल को मुख्य सचिव के पद
से हटाने के पहले भी अखिलेश ने मुलायम सिंह यादव से स्वीकृति ली थी । दरअसल अगर हम
देखें तो अखिलेश ने चाचा के साथ साथ अपने पिता को भी ये बता दिया कि अब वो टीपू
नहीं रहे बल्कि सुल्तान बन चुके हैं और सियासी दंगल में किसी को भी पटखनी देने के
दांव-पेंच से भली भांति परिचित हो चुके हैं ।
ये तो वो बातें हैं जो सतह पर दिखाई दे रही हैं लेकिन परिवार से जुड़े
सूत्रों का कहना है कि पिछले कई सालों से अखिलेश यादव के अंकल और उनके चाचा मिलकर
मुख्यमंत्री के खिलाफ साजिश रच रहे थे । इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है लेकिन
कहा जा रहा है कि अंकल अमर सिंह जब पार्टी से बाहर थे तो सरिस्का के एक रिसॉर्ट
में उनकी चाचा शिवपाल यादव से लगातार मुलाकातें होती थीं । अखिलेश यादव के
नजदीकियों का दावा है कि इन मुलाकातों में अंकल की वापसी की रूपरेखा तो बनती ही
थी, शिवपाल को सूबे का कमान दिलाने की योजना पर भी काम होता था । इसकी भनक भी
अखिलेश यादव को थी और वो लगातार इन मुलाकातों पर नजर रखे हुए थे । इस बीच खबर ये
भी आई कि मिर्जापुर के पास अखिलेश यादव के चाचा के करीबी धर्मगुरू ने तांत्रिक
अनुष्ठान करवाया । इसका राज तब खुला जब उस धर्मगुरू ने तांत्रिक अनुष्ठान के लिए
ट्रकों में भरकर नारियल मंगवाए । तांत्रिकों से जब पूछताछ हुई तो सारे राज खुल गए
जिससे अखिलेश और उनकी पत्नी डिंपल यादव बहुत नाराज हो गईं । यहीं से रिश्तों में
कड़वाहट की शुरुआत हुई ।
उधर अमर सिंह और शिवपाल यादव ने अंत:पुर की राजनीति को हवा दी और मुलायम
सिंह यादव की दूसरी पत्नी और अखिलेश की सौतेली मां साधना ने अपने बेटे प्रतीक और
बहू अपर्णा के लिए सियासी हिस्सा मांगते हुए मुलायम पर दबाव बनाना शुरू कर दिया । एक
मां अपने बेटे के लिए राजपाट की मांग करने लगी तो जाहिर तौर पर पूरा परिवार दो
खेमों में बंटने लगा । महलों की सियासत की तरह यहां भी दांव-पेंच चले जाने लगे । बताया
जाता है कि इस पूरे खेल में सास-बहू के बीच जमकर कहासुनी भी हुई । ये मामला बढ़ता
ही चला गया और जब परिवार में इस तरह की सियासतें और साजिशें शुरू होती हैं तो
बाहरवालों को तो मौका मिलता है अपनी गोटी फिट करने का और वही हुआ । इस बात के
पर्याप्त संकेत अखिलेश यादव के करीबी और समाजवादी पार्टी के विधायक उदयवीर सिंह ने
अपने पत्र में दिए । इस पारिवारिक झगड़े की बिसात पर इस वक्त अखिलेश यादव मजबूक
दिखाई दे रहे हैं । अब असली खेल शुरू होगा विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद और टिकट
बंटवारे वे वक्त ।
(नारद न्यूज- 25.10.2016)
1 comment:
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’ फ्लॉप शो का उल्टा-पुल्टा कलाकार - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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