पच्चीस
साल का अंतराल बेहद लंबा होता है। इस लंबे अंतराल में जिंदगी उबड़-खाबड़ रास्तों से
चलती हुई कई पड़ावों से गुजरती है। जिंदगी कई बार किस्मत से भी मुठभेड़ करती है। कहते
हैं कि मुकद्दर के सिकंदर का किस्मत भी हर कदम पर साथ देती है। अस्सी के दशक में कई
टीवी सीरियल्स में काम कर चुके शाहरुख खान भी ऐसे ही मुकद्दर के सिकंदर हैं। नब्बे
के दशक की शुरुआत की बात रही होगी, जब एक तरफ देश में आर्थिक उदारीकरण का दौर शुरू
हुआ था, उसी वक्त बॉलीवुड में भी बदलाव की बयार बहने लगी थी। फिल्मों में मार-धाड़
और हिंसा के दौर से दर्शक उबने लगे थे। तीन साल पहले आमिर खान ने ‘कयामत से कयामत तक’ में मध्यवर्गीय परिवार के पापा के
बड़े अरमानों का प्रतिनिधित्व किया था। युवा प्यार का भी चित्रण हुआ था।
यह वही
दौर था जब अजय देवगन (फूल और कांटे) अरमान कोहली (दुश्मन जमाना) सैफ अली खान(पहचान)
अयूब खान(माशूक)के अलावा आमिर भी ‘कयामत से कयामत तक’ की सफलता के बाद कई फ्लाप फिल्मों देने के बाद ‘दिल’ और ‘दिल है कि मानता नहीं’ के
साथ वापसी कर रहे थे।
इस दौर
में शाहरुख खान फिल्मों के लिए स्ट्रगल कर रहे थे लेकिन टीवी सीरियल्स उनको खूब शोहरत
दिलवा चुकी थी। ‘दिल आशाना है’ में शाहरुख खान
को भूमिका मिल चुकी थी लेकिन किस्मत के पिटारे में उनके लिए कुछ और भी था। गुड्डू धनोवा
की फिल्म ‘दीवाना’ को राज कंवर डायरेक्ट
कर रहे थे। कहा जाता है कि ‘दीवाना’ फिल्म
के लिए पहली पसंद नागार्जुन थे लेकिन डेट की समस्या की वजह से वो इस फिल्म को नहीं
कर सके। तय हुआ कि इस फिल्म में ऋषि कपूर, दिव्या भारती और अरमान कोहली काम करेंगे।
उन्होंने काम शुरू भी कर दिया था । अरमान कोहली को फिल्म को लेकर कुछ आपत्तियां थी
लेकिन जब उनकी आपत्तियों को नहीं माना गया तो उन्होंने फिल्म ‘दीवाना’ छोड़ दी। फिल्मकारों ने उस रोल के लिए शाहरुख
खान को साइन कर लिया। किस्मत ने शाहरुख खान की जिंदगी को एक और अहम मोड़ दिया। यहां
भी एक बेहद दिलचस्प किस्सा है । शाहरुख ने पहली व्यावसायिक फिल्म ‘किंग अंकल’ का महुरूत शॉट दिया था, ‘दिल आशना है’ शाहरुख की पहली फिल्म थी लेकिन रिलीज पहले
‘दीवाना’ हुई । इस तरह से फिल्म ‘दीवाना’ को बॉलीवुड को एक नया सुपर स्टार देने का श्रेय
हासिल हो गया। इस फिल्म में शाहरुख की एंट्री इंटरवल के बाद होती है। इस फिल्म की कहानी
बेहद दिलचस्प थी और दर्शकों ने शाहरुख के रोल को खूब सराहा। फिल्म सुपरहिट रही। रोमांस
शाहरुख खान के अभिनय का अभिन्न अंग बन गया। जब कैमरा भावविह्वल होकर उनके चेहरे के
करीब जाता उनके और अभिनेत्री के होठों पर फोकस करता है और शाहरुख कहते हैं और पास..और
पास तो दर्शकों की सांसे तो एकबारगी थम सी जाती हैं। सिनेमा हॉल में आसन्न किसिंग सीन
को लेकर सीटियां नहीं गूंजती बल्कि दर्शक खामोश हो जाते हैं। क्योंकि रोमांस का ये
बादशाह अभिनेत्री के होठों को चूमता नहीं बल्कि गाना गाने लगता। काजोल के साथ उनके
रोमांटिक सीन लोकप्रिय होने लगे थे। अपने दोनों हाथ हवा में फैलाकर जब राहुल अपनी नायिका
को आमंत्रित करता है या आलिंगबद्ध करता है तो दर्शकों की कामेच्छा अपने चरम पर पहुंचती
है। ‘दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ शाहरुख
के करियर की एक ऐसी फिल्म थी जिसने उसके किरदार को अमर कर दिया। मुंबई के मराठा मंदिर
में अपने रिलीज से लेकर अबतक वो फिल्म चल रही है। शाहरुख खान ने रोमांस के साथ कई प्रयोग
किए। बगैर अश्लील हुए शाहरुख की फिल्में दर्शकों को अपनी ओर खींचती रही। आम भारतीय
मध्यवर्गीय परिवार एक साथ बैठकर शाहरुख की फिल्में देखने लगा था। फिल्म ‘कुछ कुछ होता है’ के अंत्याक्षरी वाले दृश्य में जब एक
सिख बच्चा शाहरुख को ‘आइ लव यू’ कहने में
मदद करता है तो वो दृश्य किरदार को जीवंत कर देता है। भले ही फिल्म समीक्षकों को वो
दृश्य पसंद ना आया हो लेकिन दर्शकों ने उसको हाथों हाथ लिया था।
शाहरुख
खान के साथ किस्मत कदम से कदम मिलाकर चलती रही। ‘बाजीगर’ के किरदार को सलमान खान ने ठुकराया तो वो शाहरुख को मिली और ‘डर’ के हीरो की भूमिका करने से आमिर खान ने मना कर दिया
तो वो फिल्म भी शाहरुख को मिली। इस बात को हमेशा शाहरुख मजाक में कहते भी रहे हैं कि
आमिर खान के वो बेहद शुक्रगुजार हैं और यही कारण है कि जब भी वो कोई फिल्म ठुकराते
हैं तो वो उसको कर लेते हैं जैसे ‘स्वदेश’। इसके बाद शाहरुख ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज जब उनकी पहली फिल्म की रिलीज
के पच्चीस साल पूरे होने जा रहे हैं तब रोमांस के इस बादशाह के सफर पर नजर डालते हैं
तो किस्मत के साथ साथ उनका गजब का आत्मविश्वास भी नजर आता है जिसको रेखांकित किया जाना
जरूरी है। विवेक वासवानी ने जब शाहरुख खान को अपनी फिल्म में काम करने का प्रस्ताव
दिया और पूछा कि क्या वो उनकी फिल्म देखना चाहेंगे। शाहरुख ने साफ मना कर दिया था ।
इस इंकार से विवेक वासवानी काफी प्रभावित हो गए थे और दोनों की दोस्ती की नींव भी वहीं
से पड़ी थी। शाहरुख एक किस्सा बार बार सुनाते हैं कि जब वो पहली बार मुंबई आए थे तो
पहला हफ्ता उनके लिए बेहद कठिन रहा था तब उन्होंने मरीन ड्राइव पर रोते हुए चिल्लाकर
एक कसम खाई थी कि एक दिन इस शहर पर राज करेंगे। यह एक कलाकार का आत्मविश्वास था।
शाहरुख
खान एक बेहतरीन अभिनेता तो हैं, साथ-साथ मार्केटिंग के दांव-पेंच को भी काफी सूक्षम्ता
से ना केवल समझते हैं बल्कि उसका उपयोग अपनी फिल्मों को हिट करवाने के लिए भी करते
हैं। शाहरुख पिछले पच्चीस सालों में कई विवादों में भी रहे लेकिन उनके साथ विवाद भी
तभी खड़े होते हैं जब उनकी फिल्म आनेवाली होती है। कई लोग तो उनपर जानबूझकर विवाद खड़ा
करने का आरोप भी जड़ते हैं। मैंने शाहरुख खान के साथ तीन शोज़ किए हैं और यह महसूस
किया है कि वो अपने साथ काम करनेवालों को उसकी अहमियत का अंदाज करवाते रहते हैं और
इस वजह से उनके साथ काम करनेवाले उनके लिए अपना सर्वेश्रेष्ठ देते हैं।
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