हजारों साल
नर्गिस अपनी बे-नूरी पर रोती है/
बड़ी मुश्किल से होता है चमन मे दीदा-वर पैदा। अलम्मा इकबाल का
ये शेर बॉलीवुड के सबसे बड़े शोमैन पर अक्षरश: लागू होता है। आज राज कपूर साहब के निधन के 31
साल पूरे हो रहे हैं लेकिन उनके जैसा स्वप्नदर्शी फिल्मकार दिखाई नहीं देता है। फिल्मों
के हर शॉट मे परफेक्शन के लिए राज कपूर किसी भी हद तक जा सकते थे। उस वक्त की बात
है जब राज कपूर श्री 420 की शूटिंग कर रहे थे। ‘मेरा जूता है जापानी’ गाने के लिए कुछ शॉट्स की जरूरत थी। राज
कपूर ने अपनी पत्नी कृष्णा को कहा कि वो दो रात के लिए ठाणे और लोनावला जा रहे हैं
एक गाने की शूटिंग करनी है। उन्होंने पत्नी से ये भी बताया कि चूंकि फिल्म के नायक
भी वही हैं और निर्देशक भी तो ज्यादा लोगों की जरूरत है नहीं तो कैमरापर्सन राधू
करमाकर के साथ जा रहे हैं। जब तय जगह पर पहुंचे तो उनको ब्लैक एंड व्हाइट फ्रेम
में बादल नहीं मिले। वो बादल की तलाश में कोल्हापुर जा पहुंचे, वहां से बेलगाम
लेकिन बादल मिले ऊटी पहुंचकर। सोचिए जरा एक शॉट की तलाश में कितने घंटे की यात्रा।
परफेक्ट शॉट
और परफेक्ट प्रोफेशनल। बहुत कम लोगों को मालूम है कि ‘संगम’ फिल्म के लिए राज कपूर ने दिलीप कुमार को ऑफर
दिया था जिसे करने से दिलीप साहब ने मना कर दिया था। ये वो दौर था जब दिलीप कुमार
और राज कपूर के बीच प्रतिद्वंदिता थी। बावजूद इसके दोनों दोस्त थे। अपनी जिंदगी की
आखिरी जंग लड़ रहे राज कपूर जब दिल्ली के एम्स के आईसीयू में थे तो दिलीप कुमार
उनसे मिलने पहुंचे। राज कपूर अचेत थे। दिलीप कुमार ने उनका हाथ अपने हाथ में लिया
और कहने लगे ‘उठ जा राज! अब उठ जा, मसखरापन बंद कर। तू तो हमेशा से
बढ़िया कलाकार रहा है जो हमेशा हेडलाइंस बनाता है। मैं अभी पेशावर से आया हूं और
चापली कबाब लेकर आया हूं। याद है राज हम बचपन में पेशावर की गलियों में साथ मिलकर
ये स्वादिष्ट कबाब खाया करते थे।‘ बीस मिनट तक
दिलीप कुमार बोलते रहे लेकिन शोमैन ने तो मानो ठान रखी हो कि अब वो नहीं बोलेगा।
1 comment:
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 03/06/2019 की बुलेटिन, " इस मौसम में रखें बच्चो का ख़ास ख़्याल - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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