आज से
करीब पच्चीस साल पहले की बात है। एक मित्र की शादी के सिलसिले में पटना गया था।
बारात पटना के मेनका होटल में रुकी थी। शादी संपन्न होने के बाद के बाद
बारात वापस घर लौट रही थी। बारात के साथ ही दूल्हा दुल्हन भी लौट रहे थे।
दूल्हा-दुल्हन के साथ एक व्यक्ति गाड़ी में होता है जिसका दायित्व रास्ते भर उन
दोनों का ख्याल रखना होता है। चूंकि दुल्हा मेरा मित्र था इस वजह से ये दायित्व
मुझे सौंप दिया गया। पटना से जब हम जमालपुर के लिए चले तो अम्बेसडर कार में पीछे
की सीट पर बैठे दुल्हा-दुल्हन बातें कर रहे थे। आगे की सीट पर बैठा मैं
विकल्पहीनता की स्थिति में उनकी बातें सुन रहा था। घर परिवार, नाते-रिश्तेदार से होती हुई
बातचीत खाने पर पहुंच गई। दूल्हे ने दुल्हन से पूछा कि तुम्हें खाना बनाना आता है ? वो कुछ बोलती इसके पहले उसने
कहा कि मेरी भाभी और मां दोनों बहुत अच्छा खाना बनाती है, तुम्हारा मुकाबला उनसे ही
होगा। दुल्हन हां-हूं कर रही थी। बना लूंगी, कर लूंगी, बहुत तो नहीं आता आदि-आदि। दूल्हा को लगा कि उसके हाथ एक ऐसा
मसला आ गया है जिससे वो अपनी नई नवेली पत्नी पर रौब झाड़ सकता है। वो लगातार अपनी
भाभी और मां के खाने और खाने की डिशेज की तारीफ कर रहा था। दुल्हन चुपचाप सुन रही
थी। ये क्रम पंद्रह-बीस मिनट तक चला तो अचानक दुल्हन ने कहा कि सबकुछ तो ठीक है पर
आपकी भाभी और मां जो खाना बनाती हैं वो तो कोई भी बना सकता है। वो पारपंरिक खाना
बनाती हैं। व्यंजनों के साथ कोई प्रयोग नहीं करती हैं। मैं आप लोगों को ऐसा खाना
बनाकर खिलाऊंगी कि सब भूल जाएंगें। अब दुल्हन आक्रामक होकर अपनी बात रख रही थी।
उसने पाक-कला पर धारा प्रवाह बोलना शुरू किया। पहली बार गाड़ी में दुल्हन के मुंह
से ही मैंने जिग्स कालरा का नाम सुना। उसने कहा कि मैंने जिग्स कालरा की किताबें
पढ़ रखी हैं। दूरदर्शन पर उनके शो ‘दावत’ को देखती हूं और जिस तरह से वो मसालों, सूखे मेवों और सब्जियों को
अलग अलग तरीके से मिलाकर नए तरह का खाना बनाते हैं वो आपके यहां किसी ने सुना भी
नहीं होगा। वो इतने पर ही चुप नहीं हुई। उसने कहा कि जिग्स कालरा ऐसे खाना बनाते
हैं जैसे कोई विज्ञान की प्रयोगशाला में अलग अलग केमिकल्स को उसकी प्रकृति को
समझते हुए एक दूसरे से मिलाकर एक नए तरह का केमिकल तैयार करता है। दुल्हन ऐसे-ऐसे
शब्द प्रयोग कर रही थी जिसको हमने भी पहली बार सुना था। मेरे दोस्त की हालत खराब
थी, वो बार-बार टॉपिक बदलने की
कोशिश करता था, लेकिन दुल्हन अपने पाक कला के
ज्ञान से उसको लगातार आतंकित कर रही थी। बार-बार जिग्स कालरा का उदाहरण भी दे रही
थी। उसने ये भी बताया कि अपने मायके से जो सामान लाई है उसमें जिग्स की लिखी
किताबें और लेखों की कटिंग भी है।
अभी जब
जिग्स कालरा के निधन की खबर मिली तो अचानक मेरे दिमाग में पच्चीस साल पहले की ये
घटना कौंध गई। ये बात इसलिए महत्वपूर्ण है कि कोई लेखक या कोई कलाकार अगर अपनी
लेखनी के माध्यम से देश के अलग अलग परिवारों में अपना स्थान बना लेता है। ये उसकी
कला की ताकत है। जिग्स कालरा की कुकिंग को देखकर जिस तरह से मेरे दोस्त की पत्नी
पाककला में निपुण हो गईं उसी तरह से देशभर में हजारों महिलाएं हुई होंगी। दरअसल
अगर देखा जाए तो भारत में पाककला पर नियोजित तरीके से लेखन की शुरुआत जसपाल इंदर
सिंह कालरा उर्फ जिग्स कालरा ने की। जिग्स कालरा ने भारतीय कुजीन को विदेशी मंचों
पर ना केवल प्रतिष्ठा दिलाई बल्कि अपने प्रयोगों से विदेशियों को चौंकाया भी।
जिसने भी कालरा के दूरदर्शन पर चलनेवाले शो को देखा होगा उनको याद होगा कि किस तरह
के प्रयोग वो किया करते थे। रविवार को दूरदर्शन पर आनेवाले ‘दावत’ नाम के उस कार्यक्रम में
पुष्पेश पंत उनके साथ होते थे। उस कार्यक्रम में समोसा और कोरमा पर तो बात होती ही
थी, मशरूम चाय और उसके बनाने के
तरीके पर भी दिलचस्प बातें होती थीं। भारतीय मसालों का प्रयोग भी वो अद्भुत तरीके
से करते थे। तंदूरी और मिंट चटनी के कांबिनेशन का उनका प्रयोग भी काफी चर्चित रहा
था।जिग्स कालरा ने बाद के दिनों में और भी प्रयोग करने शुरू कर दिए थे। उन्होंने
भारतीय व्यंजनों के साथ एशियाई देशों में बनने वाले खाना बनाने की विधि को मिलाकर
प्रयोग करने शुरू किए। जिग्स कालरा के खाने के देश-विदेश में कई नामचीन लोग मुरीद
थे। अटल बिहारी वाजपेयी जी के साथ वो उनके विदेश दौरों में जाया करते थे और अटल जी
को मनपसंद खाना खिलाया करते थे। इंगलैंड के शाही घराने की डायना और प्रिंस चार्ल्स, अमेरिका के राष्ट्रपति रहे
बिल क्लिंटन और उनकी पत्नी हिलेरी क्लिंटन के अलावा पाकिस्तान के तानाशाह परवेज
मुशरर्फ भी जिग्स के खाने के दीवाने थे। लगभग पचास सालों तक जिग्स कालरा ने भारतीय
खान-पान की विरासत को जिस तरह से वैश्विक व्याप्ति दी वो अप्रतिम है। चार जून को
उनके निधन ने कुजीन की दुनिया को विपन्न कर दिया।
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