एक तरफ जहां नोटबंदी को लेकर पूरे देश में पक्ष और विपक्ष के बीच
तलवारें खिंची हुई हैं । बैंकों के बाहर पैसों के लिए कतारें लग रही हैं वहीं
दक्षिण में तेलांगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखरराव ने राजा महाराजाओं जैसे नए
बने महल में वेदों की ऋचाओं के उद्घोष के साथ गृह प्रवेश किया । नौ एकड़ में करीब
एक लाख स्कावयर फीट में बने इस भव्य बंगले को वास्तु के हिसाब से तैयार किया गया
है, जिसमें सिनेमा हॉल से लेकर एक हजार लोगों की क्षमता का विशाल कांफ्रेंस हॉल भी
है । हैदराबाद के पॉश इलाके बेगमपेट में मुख्यमंत्री के इस आवास को बनाने के लिए आसपास
की पुरानी सरकारी इमारतों को गिराया गया और करीब चालीस करोड़ की लागत से आठ महीने
में इसका निर्माण हुआ । वास्तु के साथ साथ भव्यता और सुरक्षा का इंतजाम इतना है कि
कमरों के अलावा बॉथरूम तक में बुलेटप्रूफ शीशे लगाए गए है । ये तो उस राज्य के
मुख्यमंत्री का महलनुमा निवास है जिसने अपने सूबे के गरीबों के लिए पांच लाख रुपए
की लागत से करीब पौने तीन लाख घर बनाने का एलान किया था । उपलब्ध आंकड़ों के
मुताबिक अबतक पांच फीसदी घर भी नहीं बन पाए हैं । तेलांगाना के गरीबों को दिए
जानेवाले इन दो कमरों के घरों को बनाने के लिए बजट में प्रावधान होने के बावजूद संबंधित
विभाग पैसे की कमी का रोना रो रहा है लेकिन मुख्यमंत्री के महल के लिए उसके पास
असीमित धन है ।
यह सही है कि आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद तेलांगाना का विकास
तेजी से हुआ लेकिन यह विकास बेहद असंतुलित है । इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर में तो
काफी ग्रोथ है लेकिन कृषि के क्षेत्र में विकास की रफ्तार बेहद धीमी है । इसी तरह
से अगर हम देखें तो तेलांगाना के पंद्रह से उनतीस साल के नौजवानों के बीच बेरोजगारी
की दर करीब आठ फीसदी है । ऐसे माहौल में चंद्रशेखर राव का खुद के लिए महलनुमा घर
बनवाना कितना उचित है । चंद्रशेखर राव की शाही हवेली की चर्चा हो ही रही थी कि एक
और वजह ने उनको कठघरे में खड़ा कर दिया ।
चंद्रशेखर राव के गृहप्रवेश के चंद घंटों बाद सोशल मीडिया पर एक
वीडियो वायरल होने लगा । उस वीडियो में चंद्रशेखर राव के नए बने घर के अंदर के
उनके दफ्तर की कुर्सी पर एक साधु बैठे दिख रहे हैं और चंद्रशेखर राव उनके बगल में
खड़े हैं । सोशल मीडिया के उस वीडियो के बारे में बताया गया कि मुख्यमंत्री की
कुर्सी पर बैठे वो साधु चिन्ना जीयर स्वामी हैं । सोशल मीडिया पर इस वीडियो के
वायरल होने के बाद विरोधियों ने चंद्रशेखर राव को घेरना शुरू कर दिया । कांग्रेस
के प्रदेश अध्यक्ष उत्तम रेड्डी ने मुख्यमंत्री पर वास्तु आस्था के चलते जनता का
पैसा बर्बाद करने का आरोप लगाया । उनका आरोप है कि अगर बंगले की कीमत में जमीन की
कीमत जोड़ दी जाए तो वो करीब डेढ सौ करोड़ तक पहुंच जाती है । दरअसल चंद्रशेखर राव
का वास्तुप्रेम काफी पुराना है । जब वो तेलांगाना के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने
हैदराबाद में पुराने सचिवालय में बैठने से इंकार कर दिया था । बताया जाता है कि इसकी
वजह वास्तु है । चंद्रशेखर राव ने करीब सौ करोड़ की लागत से नया सचिवालय बनवाने का
एलान किया था लेकिन वो मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है । पत्रकारों से बातचीत में
चंद्रशेखर राव ने कहा था कि इतिहास इस बात का गवाह है कि पुराने सचिवालय में
बैठनेवाला कोई भी मुख्यमंत्री फला-फूला नहीं है । वो इसको तेलांगना के भविष्य से
भी जोड़कर देखते हैं । नए घर में प्रवेश के पहले भी चंद्रशेखर राव ने वास्तु के
हिसाब से पूजा सुदर्शन यज्ञ करवाया ।
सवाल यही है कि राजनेताओं को क्यों खराब वास्तु से डर लगता है और
क्यों वो साधुओं की शरण में जाते हैं । आज जब हमारा देश मंगल ग्रह पर अपने यान का
सफल प्रक्षेपण कर चुका है और विज्ञान के क्षेत्र में इतनी प्रगति कर चुका है तो
फिर वास्तुशास्त्री और साधुओं पर इतना भरोसा क्यों । अगर हम इस पर विचार करें तो हमारे
देश में साधुओं और धर्मगुरुओं पर राजनेताओं के भरोसे का लंबा इतिहास रहा है ।
नेताओं के हाथों में अंगूठियां इस बात की गवाही देती रहती हैं । दरअसल सत्ता का
स्वाद चख लेने के बाद नेता उसको छोड़ना नहीं चाहते हैं और पद पर पहुंच जाने के बाद
उनमें एक खास किस्म की असुरक्षा देखने को मिलती है । अपनी इसी असुरक्षा बोध से
बचने के लिए नेता वास्तुशास्त्रियों, ज्योतिषियों और साधुओं के पास पहुंचते हैं । उन्हें
लगता है कि उनके आशीर्वाद या उपायों से वो सत्ता में बने रह सकते हैं । वो भूल जाते हैं कि लोकतंत्र में सिर्फ जनता ही
किसी की भी सत्ता बना और बचा सकती है । अपनी किताब वन लाइफ इज नॉट एनफ में पूर्व
विदेश मंत्री नटवर सिंह ने चंद्रास्वामी और मार्गेट थैचर के बीचे के दिलचस्प संवाद
का जिक्र किया है जिसमें स्वामी ने उनके बारे में जो भविष्यवाणी की थी वो सच निकली
थी । ऐसे तुक्के लगते रहते हैं जो कि बाबाओं की दुकान चमका देते हैं । लेकिन
क्या जनता का इससे भला होता है ?
( नारद न्यूज 30.11.2016)
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