Translate

Monday, January 16, 2017

बाबा के भेष में बहुरूपिया !

इन दिनों खबरिया चैनलों पर साधु की वेशभूषा में एक शख्स कई राजनीतिक दावे कर रहा है । इंदिरा गांधी से नजदीकी और चंद्रशेखर और नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बवनाने में अपनी भूमिका का बखान कर रहा है । वो यहीं तक नहीं रुकता है, उसका दावा है कि उसने सलमान खान को थप्पड़ मारा है और बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक की कई अभिनेत्रियां उसकी शिष्या हैं । ये साधुनुमा शख्सियत है स्वयंभू बाबा ओम, जिसका असली नाम विनोदानंद झा है । ओम पर साइकिल चोरी से लेकर विस्फोटक रखने तक के मामले में टाडा जैसे केस दिल्ली के थानों में दर्ज हैं । फिर क्या वजह है कि एक आरोपी को नेशनल न्यूज चैनलों पर इतनी तवज्जो मिल रही है । दरअसल टीवी सीरियल बिग बॉस में ओम ने जिस तरह का उधम मचाया उसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा । साधु के वेश में महिला के साथ स्वीमिंग पूल में नहाने से लेकर नागिन डांस करनेवाले बाबा को शर्तों को तोड़ने के आरोप में बिग बॉस के घऱ से बाहर कर दिया गया था । बड़बोले बाबा ने अपने बयानों से न्यूज चैनलों का ध्यान अपनी ओर खींचा । बाबा में टीआरपी की संभावनाएं देखते हुए बड़े बड़े चैनलों के संपादक तक उसका इंटरव्यू करने कूद पड़े । ओम को स्टूडियो में बुलाकर पूरे देश को घंटों तक उनका बकवास सुनाया गया । इन शोज़ के दौरान उनका बड़बोलापन बढ़ता चला गया । एक शो के दौरान दर्शकों में बैठी एक महिला को बेहद असंसदीय शब्द कहने से भीड़ और मेहमान दोनों भड़क गए और जमकर लात जूते चले । बाबजूद इसके शो चलता रहा, ओम दावे करते रहे ।
दरअसल अगर हम देखें तो ओम पिछले साल एक न्यूज चैनल के स्टूडियो में हुए थप्पड़ कांड से चर्चित हुआ । उसके पहले भी वो एक न्यूज चैनल के दफ्तर में पिटते पिटते बचे थे । लाइव शो में हुए थप्पड़ कांड के बाद वो चर्चित हो गए । महिला को थप्पड़ मारने के बाद पुलिस के डर से स्टूडियो से ये कहते हुए रफूचक्कर हो गए थे कि उनकी मुलायम सिंह यादव से बात हो गई है । उस केस का क्या हुआ ज्ञात नहीं है लेकिन ओम का हौसला उसके बाद बुलंद हो गया । ओम का उद्भव न्यूज चैनलों की भीड़ भरी दुनिया में उस वक्त हुआ जब डिबेट शो के दौरान चीखने चिल्लाने का दौर शुरू हुआ । ओम जैसी बेसिर-पैर की बातें करनेवाले लोग न्यूज चैनलों के प्रोड्यूसर्स की पसंद बनने लगे । खुद को हिंदी धर्म का रक्षक घोषित करनेवाले ओम का मकसद सिर्फ स्टूडियो में हंगामा करना और विरोधियों को बोलने नहीं देना होता था । उस वक्त ओम की मांग इतनी ज्यादा थी कि उसके टाइम स्लॉट बुक घंटे के हिसाब से बुक हुआ करते थे । स्टूडियो में थप्पड़ कांड के बाद ओम की मांग कम होने लगी थी लेकिन बिग बॉस के सीजन दस ने इस स्वयंभू बाबा को नया जीवन दे दिया । बिग बॉस में उलजलूल हरकतों ने ओम को फिर से चर्चा में ला दिया । हिंदू बाबा के नाम से खुद को प्रचारित करनेवाला ये बाबा हंसी का पात्र बनता चला गया और किसी भी सीरियल में एक अहमकनुमा जोकर तो चाहिए ही होता है ।

ओम को अहमियत से दो सवाल उठते हैं एक तो न्यूज चैनलों के कर्ताधर्ताओं पर । क्यों और कैसे उलजलूल बातें करनेवालों को इतना एयर टाइम दिया जाता है । यह सही है कि न्यूज चैनलों के लिए टीआरपी आवश्यक है लेकिन टीआरपी यानि रेटिंग के लिए कुछ भी किया जाए । कई वैसे लोग भी जो इस तरह के बाबा, भूत प्रेत आदि को टीवी पर दिखाए जाने के खिलाफ होते थे, संपादक बनते ही इनके ही शरण में जाते दिखने लगते हैं । ओम के कारनामों के दौरान और बाद में इस तरह की बातें सुनाई देती हैं कि फलां चैनल का इनके बयानों से कोई लेना देना नहीं है या फिर चैनल उनकी बातों और क्रियाकलापों से इत्तफाक नहीं रखता है । सही है इस तरह के डिस्क्लेमर बोले जाने चाहिए ताकि दर्शकों को जागरूक किया जा सके । लेकिन केबल एंड टेलीविजन एक्ट कहता है कि ब्राडकास्टर यानि चैनल की भी उतनी ही जिम्मेदारी होती है, जितना बोलने वाले की । किसी भी तरह का भड़काऊ बयान, आपत्तिजनक कटेंट, या फिर असंसदीय भाषा के टेलीकास्ट करने की जिम्मेदारी चैनलों की भी होती है । ओम के मामले में कई चैनल इस कानून की धाराओं का उल्लंघन करते दिखे । अब अगर सरकार उनको नोटिस देती है तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले का शोर मचने लगेगा । जरूरत जिम्मेदारी समझने की है । दूसरी तरफ जिस तरह से हिंदू धर्मगुरू होने दा दावा करनेवाला ये शख्स ओछी हरकतें कर रहा है उसके बारे में संत समाज को भी सोचना चाहिए । क्या कोई वेशभूषा से साधु होता है या फिर आचरण- व्यवहार से, इस पर विचार करने की आवश्यकता है । ओम को अंतराष्ट्रीय मीडिया हिंदू गॉडमैन लिख रहे हैं जिससे पूरी दुनिया में हिंदी संतों की छवि खराब हो रही है । संतों की प्रतिनिधि सभा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को ओम की हरकतों का संज्ञान लेना चाहिए और उसपर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए ।