कश्मीर में एक पत्थरबाज
को सेना ने अपनी गाड़ी के बोनट पर बांधकर कई लोगों की जान बचाई, लेकिन बावजूद इसके
मानवाधिकार के नाम पर कई लोगों ने शोर मचाना शुरू कर दिया। इस तरह की खबरें भी आई कि
सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए हैं जिसकी अबतक सेना ने पुष्टि नहीं की
है। अगर कोर्टऑफ इंक्यावरी होती भी है तो यह सिर्फ उस घटना से जुड़े तथ्यों को जुटाने
के लिए भी की जा सकती है। सेना के जिस अफसर ने उस वक्त ये फैसला लिया वह हालात को देखते
हुए बिल्कुल उचित और राष्ट्रहित में लिया फैसला था। इश फैसले ने कम से कम बीस लोगों
की जान बचाई। सेना और चुनाव कार्य से जुड़े अफसरों को हिंसक हो रहे पत्थरबाजों ने घेर
लिया था और उनपर लगातार हमले हो रहे थे। उस वक्त सेना के उस नौजवान अफसर ने जो फैसला
लिया उसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है ।
पत्थरबाज को गाड़ी के
आगे बांधकर जान बचाने की घटना की आलोचना करनेवालों को इस वीडियो के एक दो दिन पहले
वायरल होते उस वीडियो की याद नहीं आ रही है जिसमें पत्थरबाज सीआरपीएफ के जवानों के
साथ धक्कामुक्की कर रहे हैं। उनको थ्पपड़ तक मारा, लेकिन जवानों ने अपना धीरज नहीं
खोया। कश्मीर के पत्थरबाजों के लिए हाय तौबा मचानेवालों ने उस घटना पर खामोशी अख्तियार
कर ली गोया सेना और अर्धसैनिक बलों का सम्मान ना हो। खबरों के मुताबिक सूबे की मुख्यमंत्री
ने सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत से मिलकर युवक को गाड़ी में बांधने का मुद्दा उठाया
लेकिन महबूबा ने उन पत्थरबाजों पर क्या कार्रवाई की जिन्होंने अर्धसैनिक बल के जवानों
को अपमानित किया। दरअसल जिन लोगों का दिल गाड़ी पर बंधे पत्थरबाज के लिए पसीज रहा है
उनको यह बात समझ में आनी चाहिए कि सेना किन मुश्किल परिस्थितियों में वहां काम कर रही
है । उनको समझ तो ये भी आना चाहिए कि सेना वहां आतंकवादियों से मुकाबला कर रही है और
ऐसे में अपनी और अन्य लोगों की जान बचाने के लिए अगर एक शख्स क गाड़ी के आगे बांध भी
दिया गया तो आसमान नहीं टूट पड़ा है ।
कश्मीर के बिड़ते हालात
को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है । सरकार सख्ती और बातचीत दोनों रास्ते पर आगे बढ़ना
चाह रही है। एक तरफ सेना को पत्थरबाजों और आतंकवादियों से निबटने क लिए खुली छूट दी
गई है और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने साफ संदेश दिया है कि सेना और सुरक्षाबलों को अपने
मान सम्मान से समझौता करने की जरूरत नहीं है । गड़बड़ी फैलानेवालों से निबटने के तरीके
अपनाने के लिए सेना को छूट भी दी गई है और कहा गया है कि हिंसा को काबू में करने के
लिए उपद्रवियों से सख्ती से पेश आएं। साथ ही गृह मंत्रालय ने सेना को यह भी निर्देश
दिए हैं कि आम लोगों के साथ सुरक्षा बलों का व्यवहार संयत होना चाहिए। सुरक्षा बलों
को ये भी हिदायत दी गई है कि उनको भड़काने की कोशिशें भी होंगी लेकिन उपद्रवियों पर
कार्रवाई करते वक्त इस बात का ध्यान रखा जाए कि आम आदमी को परेशानी ना हो । पत्थरबाजों
से निबटने के लिए भी सरकार ने अब पैलेट गन की बजे प्लासिट्क बुलेट का इस्तेमाल करने
को कहा है लेकिन जरूरत पड़ने पर पैलेट गन के इस्तेमाल की इजाजत भी दी गई है। इसके अलावा
केंद्र सरकार अब उन विकल्पों को भी तलाश रही है जिसमें अलवाहवादियों के किसी गुट से
बातचीत हो सके। कश्मीर पर रणनीति बनाने के लिए सोमवार को गृह मंत्रालय में उच्चस्तरीय
बैठक हुई जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी शामिल थे ।
दरअसल कश्मीर में जिस
तरह से पाकिस्तान सक्रिय है और वहां के युवाओं को भड़काने में लगा है उसपर काबू करने
के लिए सरकार को रणनीति बनानी होगी । सोमवार को जिस तरह से कॉलेज के छात्रों ने सड़तक
पर उतरकर सुरक्षा बलों पर पत्थर बरसाना शुरू किया वो भी पाकिस्तान के उकसावे पर किया
गया था। सुरक्षा बलों ने पुलवामा के एक क़लेज पर रेड डाली थी जिसके विरोध में सोमवार
को छात्र उग्र हो गए। छात्रों ने तो सोपोर में सुरक्षाबलों के एक कैंप पर भी हमला कर
दिया लेकिन सुरक्षाबलों ने धैर्य का परिचय देते हुए जवाबी कार्रवाई नहीं की। सवाल यही
है कि छोटे-छोटे स्कूली बच्चों को कौन या किस तरह से भड़का रहा है। आतंकवादी बुरहान
वानी के मारे जाने के बाद भी आतंकवादियों ने स्कूलों को निशाना बनाया था । आतंकावादी
चाहते हैं कि कश्मीरी छात्र तालीम हासिल ना करें क्योंकि जाहिलों को धर्म के नाम पर
बरगलाना आसान होता है । कश्मीरियों को यह बात समझ में आनी चाहिए कि ये पूरी नस्ल को
जाहिल करने की चाल है। छात्रों को भड़काने के लिए पाकिस्तान मैं बैठे सरगना व्हाट्सएप
और अन्य चैट एप्स का सहारा लेता है और छात्रों को बीच उकसाने वाले संदेश भेजता रहता
है । गलत सलत संदेश भेजकर पाकिस्तान छात्रों को ना सिर्फ अपनी आतंकवादी हरकतों में
ढाल की तरह इस्तेमाल करता है बल्कि भारती सुरक्षाबलों के खिलाफ भी उनको भड़काकर अपनी
रोटियां सेंकता है । पिछले दिनों ऐसे ही एक व्हाट्सएप मैसेज की जब पड़ताल की गई थी
तब पता चला था कि वो मैसेज पाकिस्तान से शुरू हुआ था जिसमें कश्मीरियों से अपील की
गई थी कि अमुक जगह पर सुरक्षाबलों की मुठभेड़ चल रही है और लोग वहां पहुंचकर सुरक्षाबलों
पर पत्थर फेंकें । इन स्थितियों में सेना के पास विकल्प कम बचते हैं। सेना को आतंकवादियों
के अलावा पत्थरबाजों से भी निबटना पड़ता है। ऐसे में अगर किसी शख्स को गाड़ी के आगे
बांधकर हालात को सामान्य किया जा रहा हो या जान बचाईजा रही हो तो ये तो गोली चलाकर
अपनी जान बचाने से बेहतर ही माना जाना चाहिए।
1 comment:
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’ट्वीट से उठा लाउडस्पीकर-अज़ान विवाद : ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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