अमेरिका में अपने फैसलों
के लिए आलोचनाओं और विवादों से घिरे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरूवार को
बेहद अहम फैसला लेते हुए अफगानिस्तान के अचिन जिले में दस हजार किलो का गैर परमाणु
बम गिराने का आदेश दे दिया। कहा जा रहा है कि ट्रंप ने ये फैसला अपने एक सिपाही की मौत का बदला लेने के लिए किया है लेकिन इस फैसले से
ट्रंप ने कई देशो को संदेश दिए हैं । पेंटागन के दावे के मुताबिक इस जगह पर गुफाओं
के जाल में इस्लामिल स्टेट के करीब आठ हजार आतंकवादी छिपे हुए थे । यह जगह पाकिस्तान
की सीमा के बेहद करीब है और माना जा रहा है कि इस बमबारी में सैकड़ों आतंकवादियों की
जान गई है । हलांकि पश्चिमी मीडिया और न्यूज एजेंसी की खबरों के मुताबिक दुनिया के
सबसे बड़े बम से हुए हमले में सिर्फ छत्तीस आतंकवादियो की जान गई है । पेंटागन के सूत्रों
का दावा है कि इस दस हजार किलो के बम से किसी भी नागरिक की जान नहीं गई है । व्हाइट
हाऊस के प्रेस सेक्रेट्री सीन स्पाइसर के मुताबिक इस बम को गिराते वक्त लक्ष्य निश्चित
किया गया था और उसके निशाने पर उस इलाके के सुरंग और गुफाएं थीं । अमेरिका ने इस हमले
के पहले पूरी तैयारी की थी और नंगरहार प्रांत के इस इलाके में अमेरिकी फौज ने सारी
खुफिया जानकारी जुटाई थी । दस हजार किलो के बम, जिसे मदर ऑफ ऑल बॉम्ब कहते हैं, को
गिराने के लिए कुछ ही दिनों पहले अमेरिका से विशेष मालवाहक जहाज को अफगानिस्तान भेजा
गया था । दरअसल ये वही प्रांत है जहां ओसामा बन लादेन के अल कायदा के आतंकी भी तोरा-वोरा
इलाके में रहा करते थे । पाकिस्तान की सीमा से सटे होने का भी आतंकवादी फायदा उठाते
रहे हैं और जब इस इलाके में खतरा बढ़ता है तब वो पाकिस्तानी सीमा में शरण लेते रहे
हैं । ओसामा के मरने के बाद इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने इस इलाके की गुफाओं और
सुरंगों में अपना ठिकाना बना लिया था । यहां यह याद दिलाना आवश्यक है कि डोनाल्ड ट्रंप
ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान साफ किया था वो अगर सत्ता में आए तो आईएसआईएस के आतंकवादियों
को नेस्तानाबूद कर देंगे ।
अब अगर अफगानिस्तान
पर अमेरिकी हमले का विश्लेषण करें तो सतह पर तो यह आतंक और आतंकवादियों के खिलाफ अमेरिकी
की पुरानी नीति का ही विस्तार नजर आता है लेकिन अगर सूक्ष्मता से और गहराई से इसका
आंकलन करें तो संदेश बहुत साफ नजर आते हैं । इस हमले से अमेरिका ने एक साथ चीन, पाकिस्तान
और उत्तर कोरिया को संदेश दिया है कि वो अपने दायरे में रहें । पाकिस्तान में पहले
भी अमेरिका घुसकर ओसामा बिन लादेन को मार चुका है । अब पाकिस्तान सीमा के पास इतना
बड़ा हमला कर साफ संदेश दे दिया है कि पाकिस्तान आतंकियों को पनाह ना दे वर्ना एक बार
फिर से वहां भी सैन्य कार्रवाई हो सकती है । पाकिस्तान को ट्रंप प्रशासन समय समय पर
अपने कदमों से आतंकवादियों की मदद के खिलाफ चेताता रहता है । अपने चुनावी अभियान के
दौरान ट्रंप ने इन तीनो देशों को निशाने पर लिया था और चीन को तो करेंसी मैनिपुलेटर
तक करार दे दिया था । हाल ही में शी जिन पिंग के अमेरिका दौरे के दौरान दोनों देशों
के बीच रिश्तों की बर्फ पिघलती नजर आई जब ट्रंप ने शी जिन पिंग की तारीफ भी की और कहा
कि वो अब चीन को करेंसी मैनिपुलेटर नहीं मानते हैं लेकिन साथ ही ट्रंप ये जोड़ना नहीं
भूले कि अगर चीन उत्तर कोरिया का मसला अच्छे से सुलझा लेता है तो दोनों देशों के कारोबारी
रिश्ते और बेहतर हो सकते हैं । दरअसल कुछ दिनों पहले उत्तर कोरिया ने अमेरिका के साथ
परमाणु युद्ध तक की धमकी दी थी और अमेरिका इस समस्या को हमेशा के लिए निबटाना भी चाहता
है । ।
अब अफगानिस्तान पर अमेरिका
के दस हजार टन के बम गिराने के बाद चीन ने चिंता जताई है । चीन के कहा है कि जिस तरह
से पूरे इलाके में तनाव बढ़ रहा है उसमें किसी भी तरह की घटना से इंकार नहीं किया जा
सकता है । चीन की ये प्रतिक्रिया बम गिराने के बाद उत्तर कोरिया की तरफ से छठे न्यूक्लियर
टेस्ट की खबरों के बीच आई है। इस तरह की खबरें आ रही हैं कि अफगानिस्तान में आतंकवादियों
पर अमेरिकी हमले के बाद उत्तर कोरिया एक और परमाणु परीक्षण कर अपनी ताकत का एहसास करवा
सकता है । अमेरिका ने जिस तरह से कोरियाई प्रायद्वीप में अपने विमानों का बेड़ा भेजा
है उससे भी उत्तर कोरिया सख्त खफा है । उत्तर कोरिया का मानना है कि अमेरिका ने जिस
तरह की कार्रवाई की है उससे इस पूरे इलाके में किसी भी वक्त परमाणु युद्ध छिड़ सकता
है जिससे पूरी दुनिया की सुरक्षा और शांति खतरे में पड़ सकती है । अफगानिस्तान पर बम
गिराकर जिस तरह से अमेरिका ने अपनी रणनीतिक कूटनीति में परिवर्तन करते हुए सीधी कार्रवाई
की है उससे साफ है कि वो अब बानबाजी में नहीं उलझना चाहता है । उत्तर कोरिया और चीन
की चिंता इसी रणनीतिक कूटनिति में बदलाव का परिणाम है । दरअसल डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका
में सत्ता में आने के बाद इस बात का अंदाज लगाया ही जा रहा था कि वो कार्रवाई के पक्षधर
हैं, लिहाजा जमीनी कार्रवाई होगी । जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से ये पूछा
गया कि क्या वो अफगानिस्तान पर बमबारी कर अमेरिका उत्तर कोरिया को कोई संदेश देना चाहता
है तो ट्रंप ने कहा कि मुझे नहींमालूम कि इस कार्रवाई से कोई संदेश जाता है या नहीं,
इससे कोई फर्क भीनगीं पड़ता कि संदेश जाता है या नहीं लेकिन उत्तर कोरिया एक समस्या
है और उस समस्या को देखा जाएगा । इस बयान के बाद संदेश और साफ हो जाता है ।
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