विद्या बालन । बेबाक । बिंदास । बेहतरीन अदाकारा जो फिल्मों में अपनी छवि को लगातार
तोड़ती चलती हैं और भूमिका के हिसाब से अपनी छवि गढ़ती और जीती रहती हैं । कहानी दो
में बगैर मेकअप के पूरी फिल्म करने का साहस दिखाकर विद्या ने खासी प्रशंसा बटोरी थी
। बॉलीवुड में पश्चिम की नायिकाओं की तरह कपड़ों के माध्यम से अपनी सेक्स अपील को बढ़ाने
की चलन को विद्या साड़ी में सेंसुअस दिखकर पारंपरिकता से आधुनिकता को चुनौती देती चलती
हैं । फिल्मों में बोल्ड सींस और बोल्ड संवादों के लिए भी विद्या को तारीफ मिलती रही
है । फिल्म डर्टी पिक्टर में विद्या के रोल को लेकर हॉल में सीटियां बजनी शुरू होती
थी तो रुकने का नाम ही नहीं लेती थी । अब विद्या बालन एक बार फिर से वेश्या के चुनौतीपूर्ण
रोल में आ रही हैं । फिल्म का नाम है ‘बेगम जान’ और इसको राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त निर्देशक
श्रीजीत मुखर्जी डायरेक्ट कर रहे हैं और निर्माता है महेश और मुकेश भट्ट । कोठे के
मालकिन की भूमिका में विद्या बेहद बिंदास नजर आ रही हैं । भारत पाकिस्तान के बंटवारे
की पृष्ठभूमि और बांग्ला फिल्म ‘राजकहिनी’ का ये हिंदी रीमेक है। कोठे को लेकर भारतीय फिल्मकारों के मन
में हमेशा से एक खास किस्म का आकर्षण रहा है । फिल्मकारों से लेकर कलाकारों तक की इच्छा
होती है कि वो कोठे के जीवन को लेकर एक फिल्म जरूर बनाए । हिंदी फिल्मों की परंपरा
को देखें तो यहां कोठों को लेकर सैकडों फिल्में बनी हैं । सबसे मजेदार तथ्य तो यह है
कि कोठेवाली बनने में नई से लेकर पुरानी अभिनेत्रियों को कभी गुरेज नहीं रहा । कोठेवाली
की भूमिका को अभिनेत्रियां चुनौतीपूर्ण मानती रही हैं ।
विद्या बालन की इस फिल्म के पहले देखें तो करीना कपूर ने ‘चमेली’ में वेश्या की भूमिका निभाई । इस फिल्म में करीना को उसका चाचा
वेश्यावृत्ति के लिए बेच देता है लेकिन बिंदास करीना अपनी अदाओं से बैंकर राहुल बोस
को प्रभावित करती है । वेश्या होने के हुनर के साथ साथ उसके मानवीय गुणों से भी राहुल
प्रभावित होता है । इस फिल्म में चमेली के रोल को करीना ने अपने अभिनय से जीवंत कर
दिया था । इस फिल्म के आठ साल बाद करीना एक बार फिर से वेश्या की भूमिका में दिखी फिल्म
‘तलाश’ में जिसमें उसके साथ आमिर खान और रानी मुखर्जी भी थे । रीमा बुगती की इस फिल्म
में भी करीना ने जोरदार अभिनय किया । करीना के अलावा रानी मुखर्जी ने भी साल दो हजार
सात में दो फिल्मों में वेश्या की भूमिका निभाई थी – ‘सांवरिया’ और ‘लागा चुनरी में दाग’ । ‘सांवरिया’ में उसको रणबीर से इश्क होता है लेकिन कहानी को कुछ और ही मंजूर
था और रणबीर, सोनम के इश्क में डूबने लगता है और रानी को भुला देता है । लेकिन रानी
की फिल्म ‘लागा चुनरी में दाग’ एक बेहतरीन और यादगार भूमिका वाली फिल्म है जब एक लड़की
बनारस से मुंबई आती है । वो अपने परिवार की खुशहाली के लिए पैसे कमाना चाहती है लेकिन
नियति को कुछ और ही मंजूर था । पैसे कमाने की चाहत में बनारस की वो लड़की हाईप्रोफाइल
एस्कार्ट बन जाती है । इसी तरह से दो हजार एक में आई फिल्म ‘चांदनी बार’ में तब्बू की भूमिका ने उस साल उसकी झोली पुरस्कारों से भर दी
थी । डांस बार में काम करनेवाली डांसर मुमताज एक गैंगस्टर के प्यार के जाल में फंसती
है और उससे शादी कर लेती है लेकिन बाद में उसको अपने और अपने परिवार के लिए फिर से
वेश्यावृत्ति के दलदल में उतरना पड़ता है । मुमताज के रोल को इस फिल्म में तब्बू ने
निभाया था ।
इक्कसवीं सदी की शुरुआत में कई फिल्में बनीं जिसमें उस दौर की टॉप की हिरोइंस ने
वेश्या का रोल निभाया । जैसे दो हजार एक में ही बनी फिल्म ‘चोरी चोरी चुपके चुपके’ में प्रीति जिंटा वेश्या थी जिसे सलमान खान सैरोगेसी के लिए
तैयार करते हैं क्योंकि कारोबरी सलमान और उसकी पत्नी रानी मुखर्जी को बच्चा नही हो
रहा था । खेल तब पलट जाता है जब बच्चा पैदा होने के बाद प्रीति जिंटा को बच्चे के साथ
साथ सलमान से भी प्यार हो जाता है । इस फिल्म
को दर्शकों ने खूब पसंद किया था । इसी तरह से अगर देखें तो दो हजार नौ में आई फिल्म
‘देव डी’ में कल्कि ने भी हाई प्रोफाइल काल गर्ल की भूमिका निभाई थी जो
दिन में कॉलेज की छात्रा होती थी और रात में वेश्यावृत्ति करती थी । इस फिल्म में आधुनिक
समाज में एक लड़की के वेश्यावृत्ति के धंधे में किस मजबूरी में उतरना पड़ता है इसको
फिलमकार ने बेहद सधे अंदाज में पेश किया है और कल्कि ने अपने दमदार अभियन से इस रोल
को एक नया आयाम भी दिया है । इस वक्त की सफलतम अभिनेत्रियों में से एक कंगना रनावत
ने भी दो हजार तेरह में बनी फिल्म ‘रज्जो’ में मुंबई के रेड लाइट एरिया में रहनेवाली वेश्या का रोल किया था । कहानी वही थी
कि कैसे एक लड़का उसके प्यार में गिरफ्तार होता है और फिर मुसीबतों को सामना करना पड़ता
है । दो हजार पांच में आई फिल्म ‘नो एंट्री’ में बिपाशा बसु ने भी एक सेक्स वर्कर का रोल किया था । फिल्म ‘मार्केट’ में मनीषा कोइराला तो ‘जूली’ में नेहा धूपिया ने भी वेश्या का रोल किया है ।
फिल्मों में वेश्या के रोल को जिस तरह से हिरोइंस चुनौतीपूर्ण मानती रही हैं उसी
तरह से निर्माता और निर्देशक भी वेश्या के इर्द गिर्द फिल्म बनाने को चैलेंज की तरह
लेते रहे हैं । भारतीय समाज में वेश्या का चरित्र हमेशा से लोगों को लुभाता रहा है,
सेक्स के अलावा अन्य वजहों से भी । उनके रहन-सहन से लेकर बात व्यवहार से लेकर उनके
जीवन की परतों को देखने समझने की आकांक्षा जनमानस में होती है । भारतीय समाज में स्त्रियों
की खुली जिंदगी में झांकने की जो दबी छुपी इच्छा मर्दों में रहती है, फिल्मकार उसको
ही भुनाने के लिए वेश्या को केंद्र में रखकर फिल्में बनाते और सफल होते रहे हैं । हिरोइंस
भी इस तरह के रोल को लीक से हटकर मानती रही हैं और उनको भी लगता है कि वेश्या का सफल
रोल निभाना उनके करियर का एक अगम पड़ाव हो सकता है, लिहाजा कोई भी हिरोइन वेश्या के
रोल से परहेज नहीं करती है ।
No comments:
Post a Comment