‘जो युवक आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के साथ हो रहे मुठभेड़ की जगह पर जाते हैं
और सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकते हैं वो खुदकुशी करने जाते हैं ।‘ ये कहना है जम्मू कश्मीर के डीजीपी एस पी वैद्य का जिन्होंने सुरक्षा बलों की इस बात के लिए भी तारीफ की पत्थरों के हमले
और उकसावे वाली कार्रवाईयों को नजरअंदाज करते हुए वो अपना काम कर रहे हैं । दरअसल बडगांव
में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान तीन पत्थरबाजों की मौत के बाद सूबे के सबसे
बड़े पुलिस अधिकारी को इस तरह की चेतावनी देनी पड़ी । इन दिनों फिर से कश्मीर घाटी
में पत्थरबाज बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं । अब तो अति हो रही कि जहां पुलिस आतंकवादियों
को घेर कर उसको खत्म करने के संघर्ष में जान जोखिम में डाले हुए है वहां पहुंचकर ये
पत्थरबाज सुरक्षा बलों पर हमला कर आतंकवादियों को बचाने की कोशिश करते हैं । बडगांव
में ही एक आतंकवादियों को पुलिस के घेरे से निकालने के लिए पत्थरबाजों ने पुलिस पर
जबरदस्त तरीके से पत्थर फेंके और पुलिस को आत्मरक्षा में फायरिंग करनी पड़ी । हलांकि
बाद में पुलिस ने उस आतंकवादी को भी मार गिराया लेकिन तब तक तीन और जानें जा चुकी थीं
और पत्थरबाजी में साठ से ज्यादा पुलिसवाले घायल हो गए थे । पत्थरबाज लगातार आक्रामक
हो रहे हैं ।
दरअसल अगर हम देखें तो पिछले साल जुलाई में आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने
के बाद से कश्मीर करीब छह महीने तक नॉर्मल नहीं रह पाया था । स्कूल बंद रहे थे, छात्रों
को दिक्कतें हुई थी और उस दौर में हिंसक प्रदर्शन में नब्बे लोग मारे गए थे । इसके
बाद हालात कुछ सामान्य होने लगे थे । लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों और नापाक मंसूबों
से बाज आनेवाला नहीं है । दरअसल जैसे ही गर्मियां शुरू होती हैं तो सीमापार से आतंकवादियों
के घुसपैठ की घटनाएं में तेजी आती है । पिघलती हुई बर्फ की वजह से आतंकवादियों को भारत
में घुसने में आसानी होती है और पाकिस्तान इस दौर में सूबे के युवाओं को उकसाकर सुरक्षाबलों
को उलझाने की चाल चलता है ताकि घुसपैठ में दिक्कत ना हो ।
दरअसल पाकिस्तान को सोशल मीडिया ने एक ऐसा हथियार दे दिया है जिससे वो बेहद आसानी
से कश्मीरी युवाओं को बहकाता रहता है । व्हाट्सएप के इस्तेमाल से पाकिस्तान, कश्मीरी
युवाओं के संपर्क में रहता है और उनको किसी भी आतंकी मुठभेड़ की जगह की जानकारी देकर
वहां पत्थरबाजी के लिए भेजने की घिनौनी चाल चलता है । दस मार्च को जब पदगामपोरा में
सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच एनकाउंटर हो रहा था व्हाट्सएप पर चंद पलों में
युवाओं से मुठभेड़ स्थल पर पहुंचने को कहा गया । इतना ही नहीं इस मैसेज में आतंकवादी
को बचाने के लिए पत्थरबाजी करने को भी कहा गया था । इस मामले के सामने आने के बाद जब
मैसेज की जांच की गई तो पता चला कि ये मैसेज पाकिस्तान से जेनरेट हुआ था और चंद पलों
में इसको इतना साझा किया गया कि वो वायरल हो गया । भारी संख्या में युवा वहां पहुंच
गए और सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी करने लगे । आंतकवादियों से मुठभेड़ कर रहे सुरक्षा
बलो के सामने दोहरी चुनौती खड़ी हो गई थी । सुरक्षा बलों की तमाम सतर्कता के बावजूद
एक बुलेट पंद्रह साल के लड़के को जा लगी और उसकी वहीं मौत हो गई । कश्मीरी युवाओं को
समझना होगा कि पाकिस्तान उनका इस्तेमाल कर रहा है । लेकिन सिर्फ ये मानना बड़ी भूल
होगी कि पाकिस्तान या फिर उसकी बदनाम खुफिया एजेंसी आईएआई कश्मीरी यावओं को बरगला कर
अना उल्लू सीधा कर रही है । दरअसल पाकिस्तान अपनी जिहादी मानसिकता से बाहर नहीं आ सकता
है । परवेज मुशर्ऱफ कहा ही करते थे कि भले ही कश्मीर समस्या का हल हो जाए लेकिन भारत
के खिलाफ जेहाद जारी रहेगा । हाल ही में एन आई ए की एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई
थी कि जुलाई दो हजार सोलह के बाद कश्मीर में हिंसा और गड़बड़ी फैलाने के लिए कई सौ
करोड़ रुपए हिजबुल मुजाहीदीन के स्थानीय मददगारों को बांटे गए हैं । आईएसआई के टुकड़ों
पर पलनेवाले नेताओं की कश्मीर में कमी नहीं है, इनमें से कइयों को तो भारत सरकार की
सुरक्षा भी मिली हुई है ।
भारत के सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने जब कहा था कि पत्थरबाज और आतंकी हमलों के
बीच आनेवाले लोग आंतकी माने जाएंगे तब कांग्रेस के नेता पी चिंदबरम से लेकर कई लोगों
ने विरोध जताया था । लेकिन अब क्या ? अब तो पत्थरबाज खुले
आम आतंकवादियों को बचाने के लिए सुरक्षा बलों को घेरने लगे हैं, उनपर पत्ऱ बरसा रहे
हैं । यहां यह बात भी चिंताजनक है कि सूबे की सरकार की सीआईडी विभाग क्या कर रही है
। क्या वो इस तरह के खतरों से राज्य पुलिस या सुरक्षा बलों को पहले से आगाह करने में
नाकाम रही है । महबूबा मुफ्ती सरकार को इसपर गंभीरता से विचार करना होगा और स्थानीय
खुफिया एजेंसियों को जिम्मेदार बनाने के साथ साथ उनकी जिम्मेदारी भी तय करनी होगी ।
स्थानीय खुफिया एजेंसियां जितनी मजबूत होंगी, सुरक्षा बलों का काम उतना ही आसान होगा
। अब वक्त आ गया है कि भारत सरकार को इस्लामिक कट्टरपंथियों और आतंकवादियों के मेल
से जो षडयंत्र पाकिस्तान कर रहा है उससे उपजनेवाले खतरे का सही से आंकलन करते हुए सख्त
कदम उठाने होंगे । वोटबैंक की राजनीति के लिए कब तक सुरक्षा बलों की जान को दांव पर
लगाते रहेंगे । कश्मीर में बेहद सख्ती के साथ कदम उठाने की जरूरत है क्योंकि वो चाहे
किसी भी उम्र या मजहब को हो, अगर आतंकवादियों के साथ है तो उसके साथ आतंकवादियों जैसा
व्यवहार ही किया जाना चाहिए ।
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